DESK :कोरोना वायरस महामारी पूरी दुनिया में फैली हैं. ऐसे में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को बहुत परेशानी झेलनी पड़ रहीं है .देश के बड़े अस्पतालों के कोरोना अस्पताल बनने या बड़ी संख्या में कोरोना वार्ड बनने के कारण बेहद गंभीर हालातों से जूझ रहे कैंसर मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है. लॉकडाउन और उसके बाद हुए अनलॉक में भी कैंसर मरीज इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. इतना ही नहीं बिना इलाज के मरीजों की मौत की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. जबकि, कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार भारत में 1300 लोग रोजाना कैंसर से मरते हैं. देश की राजधानी दिल्ली के ही नहीं अन्य राज्यों जैसे बिहार ,उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश आदि से भी दिल्ली के बड़े अस्पताल एम्स, सफदरजंग, एलएनजेपी, आरएमएल, राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट में मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन इन सभी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज करने के चलते कैंसर रोगियों को इलाज नहीं दिया जा रहा है.
एक मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक पिछले छह महीनों से कैंसर से जूझ रहे पांच मरीजों या उनके परिजनों से बात -चीत से पता चला कि तीन मरीजों की इलाज न मिलने से हाल ही में मौत हो गयी, जबकि दो कैंसर मरीज अभी भी इलाज के अभाव में मौत से जंग लड़ रहे हैं.कैंसर रोगी, कोरोना रोगी, उपचार की कमी, कोविड-19, कोरोना की मृत्यु दर, कैंसर की मृत्यु दर कोरोना वायरस के कारण कैंसर मरीजों के इलाज में देरी हो रही है.
क्या कोरोना के चलते कैंसर को अंडर एस्टीमेट कर रही हैं सरकार
हेल्थ एक्टिविस्ट और एडवोकेट अशोक अग्रवाल कहते हैं कि कैंसर मरीजों को लेकर पूरी तरह लापरवाही हो रही है. कोरोना के चलते कैंसर मरीजों के लिए सरकार की कोई व्यवस्था नहीं है. वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार भारत में 1300 लोग रोजाना कैंसर से मरते हैं. 2012 से 2014 के दौरान कैंसर से मृत्यु दर 6% रही है. यह मृत्यु दर तब है जबकि लोगों को इलाज मिलता है. अभी लॉकडाउन और कोरोना के चलते इलाज न मिलने पर मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है. वहीं कोरोना की बात करें तो भारत में इसकी मृत्यु दर लगभग 3% है.