डेस्क-देश में कहीं सूखे की मार से किसान बेहाल हैं तो कहीं अतिवृष्टि से जनजीवन अस्त व्यस्त है. कहीं सैलाब से तबाही मची हुई है. केरल के वायनाड में प्रकृति ने भयानक तबाही मचाई है तो दिल्ली भी जलमग्न है. देश के कई हिस्सों में प्रकृति का रौद्र रुप दिख रहा है. पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने और आसमानी आफत से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं.
मानसूनी मौसम के दौरान अगस्त की शुरुआत हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश, बाढ़ के कारण तबाही के साथ हुई. आसमान से ऐसी आफत बरसी कि आम जिंदगी जमींदोज हो गयी. बादल फटने की आपदाओं में पांच लोगों की मौत हो गई, 50 लोग लापता हैं. कई घर तबाह हो गए और एक बस समेत दर्जनों वाहन बह गये. बचाव के लिए सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, होमगार्ड्स के साथ ही स्थानीय इकाइयों को लगाया गया है. रामपुर बुशहर और निरमंड की श्रीखंड महादेव यात्रा मार्ग के अलावा शिमला, मंडी और कुल्लू में बादल फटने से भारी तबाही हुई.
आसमानी आफत, बादल फटने से आई बाढ़, सड़कों-घरों को बहा ले गया पानीभूस्खलन के चलते मनाली-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गया है. कांगड़ा, कुल्लू और मंडी जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा का रेड अलर्ट जारी किया गया है. चंबा के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. इसके अलावा पांच जिलों में बाढ़ की चेतावनी दी गयी है. मौसम विभाग ने आगामी 7 अगस्त तक राज्य में अधिकांश स्थानों पर मानसून की वर्षा जारी रहने की संभावना जताई है.
हिमाचल में तीन पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं. सीएम सुक्खू ने बताया कि हालात पर नजर रखने के लिए पुलिस को पांच ड्रोन दिए जा रहे हैं. कुल 13 स्थानों पर आपातकालीन केंद्र स्थापित किए गए हैं.
उत्तराखंड में भी जगह-जगह भारी बारिश हो रही है. लोगों से केदारनाथ यात्रा स्थगित करने का आग्रह किया गया है. इस बीच, विभिन्न स्थानों पर वर्षा संबंधी घटनाओं में 12 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी। कई इलाकों में अनेक यात्रियों को हेलीकॉप्टर से सुरक्षित निकाला गया। हरिद्वार में भी भारी बारिश हुई है.भारी बारिश के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन होने के कारण केदारनाथ यात्रा रोक दी गई है. घोड़ापर्व, लिनचोली, बड़ी लिनचोली और भीमबली में पत्थरों के कारण मार्ग मार्ग बंद हो गया है. लिनचोली और भीमबली से 425 तीर्थयात्रियों को हेलीकॉप्टरों से सुरक्षित लाया गया है, जबकि 1,100 तीर्थयात्री बचाव टीमों की मदद से विभिन्न स्थानों से पैदल चलकर सोनप्रयाग पहुंचे हैं.