गया. शिक्षा विभाग की वेतन संशोधन नियमावली की गलत व्याख्या से गया जिले में शिक्षकों के खाते में गलती से करोड़ों रुपए का आवंटन हुआ है. वहीं ज्यादा वेतन पाने वाले शिक्षकों से जब वसूली की प्रक्रिया शुरू हुई तब शिक्षकों का एक वर्ग इससे नाराज हो गया. अब रिकवरी से लगे शिक्षा विभाग के लोगों पर शिक्षकों की ओर से फर्जी मुकदमा भी किया जा रहा है.
ऐसा ही एक मामला बेलागंज प्रखंड के चिन्हित विद्यालय नागालाल अग्रवाल के प्रधानाध्यापक धनंजय कुमार के खिलाफ हुआ है. उन्होंने बताया कि जिले के सैंकड़ों नियमित शिक्षकों के वेतन निर्धारण में शिक्षा विभाग की हुई गडबडी से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. लेकिन जब वित्त विभाग ने इस चूक को पकड़ा तो वेतन प्राप्त करने वाले शिक्षकों से वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी. इस संबंध में डीपीओ की ओर से एक आदेश जारी किया गया.
उन्होंने बताया कि बेलागंज एक मात्र प्रखंड है जहाँ से वेतन सुधार सूची भेजी गई. जबकि शेष 23 प्रखंड में से किसी से सूची नहीं भेजी गई है. हालांकि बेलागंज से वेतन सुधार सूची भेजना धनंजय कुमार को भारी पड़ गया. दरअसल सूची भेजे जाने से कई शिक्षक नाराज थे. इसी को लेकर 9 मार्च को धनंजय के खिलाफ कुछ शिक्षकों ने एक षड्यंत्र रचा. धनंजय का कहना है कि उनके खिलाफ एक शिक्षक ने फर्जी तरीके से एससी-एसटी अधिनियम में मामला दर्ज कराया है.
दरअसल शिक्षा विभाग के वेतन संशोधन को वित्त विभाग ने गलत करार दिया था. गलती के कारण एक एक शिक्षक के खाते में औसत 5 लाख रुपए तक ज्यादा वेतन गया. इसे लेकर वित्त विभाग ने छठे वेतनमान का लाभ किस रूप में किसे मिलेगा इस संबंध में वित्त विभाग की ओर से संकल्प संख्या 8921, दिनांक 7 दिसम्बर 2018 को जारी किया गया. वित्त विभाग की व्याख्या के अनुसार गया जिले में करीब 200 नियमित शिक्षक गलत तरीके से ज्यादा वेतन का लाभ ले रहे हैं. हालांकि करीब दो साल तक किसी प्रकार की रिकवरी नहीं होने पर 10 नवम्बर 2020 को एक बार फिर से वित्त विभाग ने वसूली संबंधी दूसरा पत्र जारी किया.