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देश के प्रथम राष्ट्रपति की जन्मस्थली की बदहाली पर हाईकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने ASI और बिहार सरकार को हलफनामा पेश करने को कहा

देश के प्रथम राष्ट्रपति की जन्मस्थली की बदहाली पर हाईकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने ASI और बिहार सरकार को हलफनामा पेश करने को कहा

पटना. पटना हाईकोर्ट ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दुर्दशा के मामले पर सुनवाई करते हुए केंद्र (आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) और बिहार सरकार को अगली सुनवाई में निश्चित रूप से हलफनामा करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

इससे पहले हाईकोर्ट ने अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार की अध्यक्षता में वकीलों की तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी। कोर्ट ने समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा ले कर कोर्ट को रिपोर्ट करने का आदेश दिया था। पिछली सुनवाई में वकीलों की समिति ने कोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट रखी।

वकीलों की कमिटी ने जीरादेई के डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर की जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात कही। साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गन्दगी और रखरखाव की  स्थिति भी असंतोषजनक पाया। वहाँ काफी गन्दगी पायी गई और सफाई व्यवस्था की खासी कमी थी। साथ ही पटना के सदाकत आश्रम की दुर्दशा को भी वकीलों की कमिटी ने गम्भीरता से लिया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार को 7 जनवरी, 2022 तक जवाब देने का निर्देश दिया था।


जनहित याचिका में कोर्ट को बताया गया कि जीरादेई गांव व वहां डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पुश्तैनी घर और स्मारकों की हालत काफी खराब हो चुकी है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया कि जीरादेई में बुनियादी सुविधाएं नहीं के बराबर है। न तो वहां पहुँचने के सड़क की हालत सही है। साथ ही गांव में स्थित उनके घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं, जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है।

उन्होंने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार के इसी उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण लगातार हालत खराब होती जा रही है। कोर्ट को बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे सम्बंधित स्मारकों की दुर्दशा भी साफ दिखती हैं। वहां सफाई, रोशनी और लगातार देख रेख नहीं होने के कारण ये स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

इस स्थिति में शीघ्र सुधार के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने की जरूरत है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद न सिर्फ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता रहे, बल्कि भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष भी रहे। तत्पश्चात भारत के पहले राष्ट्रपति बने। इस पद पर उन्होंने मई 1962 तक कार्य किया।

बाद में राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद पटना के सदाकत आश्रम में रहे, जहां 28 फरवरी 1963 को उनकी मृत्यु हुई। ऐसे महान नेता के स्मृतियों व स्मारकों की केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किया जाना उचित नहीं है। इनके स्मृतियों और स्मारकों को सुरक्षित रखने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 11 जनवरी 2022 को होगी।

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