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पटना हाईकोर्ट ने की बियाडा द्वारा जमीन आवंटन रद्द करने मामले की सुनवाई, औद्योगिक इकाइयों को अंडरटेकिंग दायर करने का निर्देश

पटना हाईकोर्ट ने की बियाडा द्वारा जमीन आवंटन रद्द करने मामले की सुनवाई, औद्योगिक इकाइयों को अंडरटेकिंग दायर करने का निर्देश

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने राज्य में औद्योगिककरण को बढ़ावा देने और बियाडा द्वारा बंद पड़े औद्योगिक इकाइयों के ज़मीन अवांटन रद्द किए जाने के मामले पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मामलें पर सुनवाई करते हुए औद्योगिक इकाइयों को दो हफ्ते में अंडरटेकिंग दायर करने का निर्देश दिया है।      कोर्ट ने उमेश सर्विसिंग स्टेशन एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने औद्योगिक इकाइयों को बियाडा की ज़मीन आवंटित करने हेतु शर्तों दिए हैं ,जिसके तहत याचिकाकर्ताओं को तीन महीने के भीतर अपनी बंद इकाई का ट्रायल के रूप में चालू करना होगा। उसके बाद छह महीने के भीतर पचास फीसदी तक वाणिज्यिक उत्पादन सुनिश्चित करना होगा।

साथ ही एक वर्ष के भीतर न्यूनतम पचहत्तर फीसदी तक वाणिज्यिक उत्पादन सुनिश्चित करना होगा। कोर्ट ने दूसरे शर्त के रूप में कहा कि बियाडा को जुर्माना और ब्याज के भुगतान पर जोर न देने के लिए राजी किया जा सकता है, लेकिन यदि कोई आवंटन पूर्व में रद्द किया गया है, तो याचिकाकर्ताओं को भूमि के वर्तमान मूल्य का भुगतान करना होगा। यदि  आवंटन को हाल के दिनों में रद्द किया गया है, तो हम आवंटन रद्द करने को वापस लेने के लिए बियाडा को राजी करेंगे। तीसरे शर्त के अनुरूप याचिकाकर्ताओं को सभी श्रम कानूनों का अनुपालन करना पड़ सकता है। साथ ही चौथी शर्त यह रखी गई है कि यदि एक श्रेणी से दूसरी अनुमेय श्रेणी में उपयोगकर्ता का परिवर्तन होता है, तो बियाडा की सूची के अनुसार, बियाडा के अधिकारी उस संपत्ति की अनुमति देंगे। यदि गतिविधि अनुमेय श्रेणी से बाहर आती है, तो याचिकाकर्ता सार्थक संवाद और निर्णय के लिए बियाडा से संपर्क कर सकते हैं।  खंडपीठ ने महाधिवक्ता ललित किशोर एवं बियाडा के वकील प्रशांत प्रताप को सुनने के बाद  उक्त आदेश दिया। 

कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि बियाडा द्वारा पारित आदेश से असंतुष्ट होने पर औद्योगिक इकाई इस कोर्ट के समक्ष वापस आ सकते हैं। याचिकाकर्ताओं में से प्रत्येक, अपने निदेशक मंडल/प्रबंध निदेशक के माध्यम से कोर्ट के समक्ष एक अंडरटेकिंग दाखिल करेगा कि वह उपरोक्त शर्तों का पालन करेगा और यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो यह अवमानना के समान होगा। साथ ही बियाडा भूमि का कब्जा लेने का तुरंत हकदार होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

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