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पटना हाईकोर्ट में सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति को लेकर दायर याचिका पर 2 मार्च को होगी सुनवाई, जानिए क्या मामला

पटना हाईकोर्ट में सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति को लेकर दायर याचिका पर 2 मार्च को होगी सुनवाई, जानिए क्या मामला

PATNA : पटना हाईकोर्ट में राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों के स्थिति के सम्बन्ध दायर जनहित याचिका पर 2 मार्च,2023 को सुनवाई होगी। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में जो प्रिंसिपल और शिक्षक कार्य कर रहे है, वे यूजीसी के मानदंडों के अनुसार शैक्षणिक योग्यता रखते है। उन्होंने बताया कि ये शिक्षक यूजीसी द्वारा नेट की परीक्षा बिना पास किये पद पर बने हुए है। इन लॉ कालेजों के प्रिंसिपल भी पीएचडी की डिग्री प्राप्त नहीं किया है।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह बताने को कहा था कि राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में नेट की परीक्षा पास किए शिक्षकों को क्यों नियुक्त नहीं किया जा सकता है। राज्य में स्थित लॉ कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव के मामलें पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है। कोर्ट ने बार कॉउन्सिल ऑफ इंडिया से ये जानना चाहा था कि राज्य के लॉ कॉलेज में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लॉ कालेजों में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति होना आवश्यक है।

कोर्ट को अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति बहुत दयनीय है। वहां बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है।बीसीआई के निर्देश और जारी किए गए गाइड लाइन के  बाद भी बहुत सुधार नहीं हुआ है। बीसीआई के निरीक्षण के बाद भी बहुत सारे कालेज निर्धारित मानकों को नहीं पूरा कर रहे है। इससे पूर्व कोर्ट ने बीसीआई के अनुमति/ अनापत्ति प्रमाण मिलने के बाद  ही सत्र 2021- 22  के लिए राज्य के 17 लॉ कालेजों को अपने यहां  दाखिला लेने  के लिए अनुमति दी थी।

पूर्व में हाई कोर्ट ने  इस मामले में सुनवाई करते हुए  बिहार के सभी 27 सरकारी व निजी लॉ कॉलेजों में नए दाखिले पर रोक लगा दी थी। बाद मे  इस आदेश में आंशिक संशोधन करते हुए 17 कॉलेजों में सशर्त दाखिले की मंजूरी दे दी थी। उस समय हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया था  कि दाखिला सिर्फ 2021-22 सत्र  के लिए ही होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगले साल  के सत्र के लिए बीसीआई से फिर मंजूरी लेनी होगी। उस समय कोर्ट ने इन कालेजों का निरीक्षण कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया को तीन सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश देते हुए कहा  था कि जिन लॉ कालेजों को पढ़ाई जारी करने की अनुमति दी गई है, वहां की व्यवस्था और उपलब्ध सुविधाओं को भी देखा जायेगा। सुनवाई के समय याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीनू कुमार एवं रितिका रानी, बीसीआई की ओर से अधिवक्ता विश्वजीत कुमार मिश्रा ने कोर्ट में अपने अपने पक्षों को प्रस्तुत किया। इस मामलें पर अगली सुनवाई 2 मार्च, 2023 को फिर की जाएगी।

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