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मुख्य सूचना आयुक्त के वर्चुअल सुनवाई का भारी विरोध, RTI संघ की चेतावनी....फिजिकल सुनवाई नहीं शुरू हुई तो आयोग दफ्तर पर करेंगे प्रदर्शन

मुख्य सूचना आयुक्त के वर्चुअल सुनवाई का भारी विरोध, RTI संघ की चेतावनी....फिजिकल सुनवाई नहीं शुरू हुई तो आयोग दफ्तर पर करेंगे प्रदर्शन

PATNA: बिहार में हाईकोर्ट से लेकर सभी संस्थानों में अब वर्चुअल काम बंद हो गया है। लेकिन बिहार के मुख्य सूचना आयुक्त अभी तक वर्चुअल सुनवाई कर रहे। बिहार में शायद ये अपवाद हैं। मुख्य सूचना आयुक्त के इस रवैये का विरोध शुरू हो गया है। अखिल भारतीय सूचना कार्यकर्ता संघ ने चेतावनी दी है कि तुरंत वर्चुअल सुनवाई बंद हो और फिजिकल सुनवाई शुरू हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो पटना स्थित सूचना आयोग के कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन शुरू होगा। 

अखिल भारतीय सूचना कार्यकर्ता संघ के महासचिव संतन सिंह ने बिहार के मुख्य सूचना आयुक्त नरेंद्र कुमार सिन्हा को पत्र लिखा है. पत्र में वर्चुअल सुनवाई को बंद कर फिजिकल सुनवाई करने का आग्रह किया गया है. उन्होंने कहा है कि भारतीय सूचना कार्यकर्ता संघ ने इस संबंध में कई पत्र दिए. जिसमें मांग की गई थी कि वर्चुअल सुनवाई बंद हो और फिजिकल सुनवाई शुरू हो. लेकिन दुख इस बात की है कि अभी तक वर्चुअल सुनवाई बंद कर फिजिकल सुनवाई नहीं शुरू की गई है. संघ वर्चुअल सुनवाई का विरोध करता है. संघ ने वर्चुअल सुनवाई बंद कर फिजिकल सुनवाई शुरू कराने को लेकर तर्क दिए हैं. जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था. लेकिन अब पूर्व की स्थिति बहाल कर दी गई है. केवल मुख्य सूचना आयुक्त पटना में ही वर्चुअल सुनवाई जारी है जो कि एक अपवाद है.

संघ ने कहा है कि पटना हाई कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई किया जा रहा था, लेकिन अब वर्चुअल सुनवाई बंद कर फिजिकल सुनवाई आरंभ की कर दी गई है .वर्चुअल सुनवाई से काफी परेशानी है. आवेदक अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रख पाता है. साक्ष्य- प्रमाण आयोग को देना हो तो वह भी नहीं दे पाता है. आवाज की भी समस्या रहती है. परिणाम स्वरूप आवेदक न्याय से वंचित रह जाता है . मुख्य सूचना आयुक्त सिर्फ वर्चुअल सुनवाई कर रहे हैं, जबकि बिहार के दूसरे सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार ठाकुर द्वारा आमने-सामने ही सुनवाई की जाती है. उन्होंने कहा कि आप एक वरीय नागरिक एवं संवैधानिक पद पर आसीन हैं. इसलिए आपने तीसरा बूस्टर डोज भी ले लिया होगा. संघ के द्वारा बार-बार निवेदन किया गया की आमने सामने की सुनवाई की जाए. लेकिन इसके बाद भी फिजिकल सुनवाई आरंभ नहीं की गई है. यह एक संवैधानिक संस्था के मुख्य पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा फिजिकल सुनवाई आरंभ नहीं करना स्वेच्छाचारिता है। ऐसे में आवश्यक है कि आपके द्वारा भी वर्चुअल सुनवाई बंद कर आमने सामने की सुनवाई की जाए. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो विवश होकर संघ आपके खिलाफ उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा.उग्र आंदोलन की शुरुआत सूचना आयोग पटना से ही की जाएगी.

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