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नीतीश राज की गुंडा पुलिस के खिलाफ भारी जनाक्रोश, रात के अंधेरे में घरों में घुसकर पुलिस ने किसानों को बेरहमी से पीटा,विरोध में लोगों ने गाड़ियों में लगाई आग

नीतीश राज की गुंडा पुलिस के खिलाफ भारी जनाक्रोश, रात के अंधेरे में घरों में घुसकर पुलिस ने किसानों को बेरहमी से पीटा,विरोध में लोगों ने गाड़ियों में लगाई आग

BUXER : बिहार में नए डीजीपी के आने के बाद यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि वह अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने का काम करेगी। लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली, लेकिन बिहार पुलिस की बहादुरी किसानों पर जरुर नजर आई है। छात्रों पर लाठियां बरसाने के बाद अब बिहार की पुलिस ने जमीन मुआवजे को लेकर बक्सर के चौसा में 85 दिन से धरने पर बैठे किसानों पर आधी रात को जमकर लाठियां बरसाई है। हद तो तब हो गई,जब उन किसानों को बचाने पहुंची महिलाओं और बच्चों को भी पुलिसवालों ने नहीं छोड़ा। किसानों पर पुलिस की बर्बरता का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि पुलिस कैसे उन पर लाठियां बरसा रही है। 

वहीं आधी रात को हुए इस कार्रवाई के बाद से ही आज सुबह किसान भी उग्र हो गए और पुलिस के एक बस को आग के हवाले कर दिया। पुलिस ने हवाई फायरिंग करके भीड़ को खदेड़ने की कोशिश की। पूरा इलाका पुलिस छावनी बना हुआ है। दोनों तरफ से बीच-बीच में पत्थरबाजी भी हो रही है। ग्रामीण हटने के लिए तैयार नहीं हैं।

कल गेट के बाहर किया था प्रदर्शन

इससे पहले बीते मंगलवार को यहां थर्मल पावर के गेट के बाहर दिन भर प्रदर्शन किया। लेकिन यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा था। वहीं  दिन में तो पुलिस और अधिकारी 2KM दूर खड़े रहे, लेकिन जैसे ही अंधेरा हुआ रात के 11.30 बजे बनारपुर गांव में घुस गई। प्रदर्शन में शामिल लोगों को पीटना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान महिलाओं और बच्चों को भी पुलिस ने नहीं छोड़ा।पुलिस की लाठी की मार से पूरे घर में चीख पुकार मच गई।

जमीन मुआवजे की मांग

बता दें कि चौसा में थर्मल पावर प्रोजेक्ट का निर्माण हो रहा है। जिसके लिए यहां के किसानों से जमीन अधिग्रहण किया गया था। लेकिन किसानों का कहना है कि जो मुआवजा दिया गया है वह पुराने दर पर दिया गया है। उनकी मांग थी कि नए दर के हिसाब से मुआवजा दिया जाए। जिसको लेकर लगभग तीन माह से किसान धरने पर बैठे हुए हैं। जिला प्रशासन की तरफ से उनके आंदोलन को खत्म करने के लिए तमाम प्रयास किये गए. बातचीत की गई, यहां तक कि किसानों को जबरन हटाने का प्रयास भी किया गया। लेकिन किसान अपनी मांग से पीछे नहीं हटे। दो दिन पहले आंदोलन कर रहे एक किसान की मौत भी हो गई थी। लेकिन प्रशासन ने उसकी कोई सुध नहीं ली। वहीं बीते पांच जनवरी को यहां महापंचायत भी बुलाई गई थी, जिसमें न सिर्फ बिहार के अलग अलग जिलों से, बल्कि यूपी-झारखंड से भी बड़ी संख्या में किसान पहुंचे थे। उन्होंने ने भी किसानों की मांग को जायज बताया था।


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