बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

हाईकोर्ट का फैसला:सेक्स सम्बन्ध के लिये महिला स्वागत करती है तो उसे सहमति से सेक्स माना जायेगा अन्यथा ब्लात्कार

हाईकोर्ट का फैसला:सेक्स सम्बन्ध के लिये महिला स्वागत करती है तो उसे सहमति से सेक्स माना जायेगा अन्यथा ब्लात्कार

DESK : हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि सहमति से सेक्स और रेप के बीच अंतर क्या है. इस पर टिप्पणी करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है कि सेक्स संबंध के लिए अगर कोई महिला स्वागत करती है. तभी उसे आपसी सहमति से सेक्स माना जा सकता है. अन्यथा इसे बलात्कार यानी रेप की श्रेणी में रखा जाएगा.

केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है "दूसरे शब्दों में भारत जैसे देश में जो कि लैंगिक समानता के प्रति समर्पित है. केवल ऐसे शारीरिक संबंध जिनका खुशी से स्वागत किया जाता है. वही पीड़ित के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं. ऐसे संबंध को आपसी सहमति से स्वीकार किया जा सकता है'

गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट में एक आरोपी ने अपील करते हुए दलील दी थी कि उसने पीड़िता से सहमति के साथ संबंध बनाए थे. आरोपी ने यह भी दलील दी कि सेक्स करने के बाद भी पीड़िता उसके घर कई बार आयी थी. केरल हाईकोर्ट के जस्टिस पी वी सुरेश कुमार ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में चले एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि अगर महिला सेक्स का स्वागत करती है. तभी वह सेक्स माना जायेगा. 

हाईकोर्ट ने अपने जजमेंट में कहा 'यह सामाजिक सच्चाई है कि जैसा सेक्स एक महिला चाहती है. उसे कभी आपसी रजामंदी नहीं कहा जा सकता. जब सेक्सुअल इंटरएक्शन बराबर होगा तो सहमति की जरूरत नहीं है और अगर यह दोनों की तरफ से नहीं होगा तो रजामंदी से ही से बराबर नहीं किया जा सकता'.

गौरतलब है कि केरल हाई कोर्ट ने यह आदेश 59 साल के एक शख्स द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है. बता दें कि 59 साल के एक शख्स ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि उसने पीड़िता से सहमति के साथ संबंध बनाए थे. 59 वर्ष के शख्स पर या आरोप था कि पड़ोस में रहने वाली 14 साल की लड़की से उसने कई बार रेप किया. इसके बाद लड़की गर्भवती हो गई. हालांकि 2009 में घटी यह घटना के दौरान पॉक्सो एक्ट अस्तित्व में नहीं था. हाईकोर्ट ने अपने सुनवाई के दौरान निचली अदालत से दोषी करार दिए गए आरोपी के फैसले को बरकरार रखा और उसकी अपील खारिज कर दी गई. 

Suggested News