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बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन पर हाईकोर्ट गंभीर : बियाडा को दिया निर्देश, जमीन लेकर उद्योग नहीं लगानेवाले डिफॉल्टरों की पेश करें सूची

बिहार के औद्योगिक पिछड़ेपन पर हाईकोर्ट गंभीर : बियाडा को दिया निर्देश, जमीन लेकर उद्योग नहीं लगानेवाले डिफॉल्टरों की पेश करें सूची

PATNA : औद्योगिक रूप से पिछड़े बिहार के लिए हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है। पटना हाई कोर्ट ने बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट ऑथोरिटी ( बियाडा ) को डिफॉल्टरों की सूची पेश करने का आदेश दिया है।  चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने बियाडा से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य की प्रगति के लिए औद्योगिकीकरण में तेजी लाना महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में औद्योगिक विकास व लोगों को रोजगार तभी ही मिलेगा जब बियाडा की जमीन का सही तौर से उपयोग किया जाए। 

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने उमेश सर्विस स्टेशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की।याचिकाकर्ता ने बियाडा से आवंटित हुई भूमि के रद करने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।इस मामले पर अब अगली सुनवाई 23 दिसंबर को पटना हाईकोर्ट होगी।

49 साल पहले दी थी लीज पर जमीन, नहीं लगा उद्योग

बियाडा की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को 1972 में काफी सस्ती दर पर बियाडा ने जमीन लीज पर दी थी। आवंटित हुई जमीन पर औद्योगिक काम की बजाय दूसरा व्यवसाय किया जाने लगा। जब बियाडा ने निरीक्षण किया तो पाया कि उक्त जमीन पर सालों से कोई औद्योगिक कार्य नहीं किया गया है। इस पर बियाडा ने जमीन के दुरुपयोग को लेकर याचिकाकर्ता को आवंटित हुई जमीन को वापस लेने का आदेश दिया।


बियाडा के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को औद्योगिक कार्य करने हेतु जमीन आवंटित हुई थी, जिसका स्पष्ट उल्लंघन पाया गया। इस पर खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि बियाडा सारे डिफाल्टर्स की सूची कोर्ट में पेश करे। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोगों के चंगुल में बियाडा फंसी हुई है। जबतक उनके चंगुल से बियाडा मुक्त नहीं होगी, तबतक राज्य में औद्योगिक विकास का सपना साकार नहीं हो सकता है। हम चाहते हैं कि राज्य में औद्योगिक विकास हो और लोगों को रोजगार मिले। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई में महाधिवक्ता को स्वयं उपस्थित होकर बियाडा का पक्ष रखने को कहा है।

इस बीच याचिकाकर्ता को यह बताना है कि वह दो महीने में फैक्ट्री को चालू कर उत्पादन शुरू कर देगा। आदेश का पालन नहीं करने पर याचिकाकर्ता को कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही झेलनी पड़ सकती है। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 दिसंबर को होगी।

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