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मोदी की मांग का 'मोल' नहीं! CM नीतीश के भरोसेमंद पूर्व डिप्टी CM की डिमांड सुनने को तैयार नहीं अपनी ही सरकार

मोदी की मांग का 'मोल' नहीं! CM नीतीश के भरोसेमंद पूर्व डिप्टी CM की डिमांड सुनने को तैयार नहीं अपनी ही सरकार

PATNA: बिहार की सत्ता में 2020 विधानसभा चुनाव तक सुशील मोदी नंबर 2 की हैसियत में थे। एनडीए सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली हुई थी। 2005 से लेकर 2020 तक बीच का कुछ समय छोड़ दें तो सुशील मोदी सत्ता के केंद्र में थे। वे सीएम नीतीश के काफी भरोसेमंद माने जाते थे। ऐसा नहीं कि वर्तमान में उनकी पार्टी बिहार की सत्ता पर आसीन नहीं है. आज भी भाजपा के सहयोग से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। सत्ताधारी दल होने के बाद भी सुशील मोदी की मांग का सरकार के भीतर कोई मोल नहीं रहा।हाल के महीनों में बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता ने नीतीश सरकार के समक्ष कई मांगें रखी, लेकिन किसी मांग को सरकार ने स्वीकार नहीं किया। 

PFI पर प्रतिबंध की मांग को CM नीतीश करेंगे स्वीकार? 

बिहार की सत्ताधारी बीजेपी के बड़े नेता व पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने रविवार को नीतीश सरकार से बड़ी मांग कर दी। उन्होंने कहा कि पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) के विरुद्ध देश में साम्प्रदायिक द्वेष और आतंकवाद को बढावा देने वाली  गतिविधियों में लिप्त होने के पर्याप्त प्रमाण मिले हैं. ऐसे में बिहार सरकार को केंद्र  से परामर्श कर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।पीएफआइ इस्लामी छात्रों के संगठन सिमी का बदला हुआ रूप है। इससे सीमावर्ती प्रदेश बिहार और पूरे देश की सुरक्षा को खतरा बढ़ा है।राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल कांग्रेस आतंकवादी साजिश में लिप्त पीएफआइ को बढ़ावा देती रही। सुशील मोदी ने आगे कहा कि कर्नाटक में जब कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार सत्ता में आयी, तब वर्ष 2013 में पीएफआई और इसकी राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया ( एसजीपीआइ ) के 1600 कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दंगा करने से संबंधित 176 मुकदमें वापस ले लिए थे। कांग्रेस सरकार के फैसले से कर्नाटक के विभिन्न इलाकों में साम्प्रदायिक हिंसा और तोड़फोड़ करने वाले पीएफआइ के लोगों का दुस्साहस बढ़ा।

पटना एसएसपी से माफी मांगने की थी मांग 

इसके पहले सुशील मोदी ने पटना एसएसपी द्वारा आरएसएस की तुलना पीएफआई से करने पर गंभीर आपत्ति जताई थी। बीजेपी में कभी नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद माने जाने वाले पूर्व डिप्टी सीएम ने खुले तौर पर पटना एसएसपी के बयान पर गहरी आपत्ति जताई थी। मोदी ने कहा था कि पीएफआई से संघ की तुलना आपत्तिजनक है। पटना एसएसपी बयान वापस लें. पटना के एसएसपी को ऐसा बयान तुरंत वापस लेना चाहिए और इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। सुशील मोदी की मांग पर सरकार की बात छोड़िए पटना एसएसपी ने भी संज्ञान नहीं लिया। विवाद बढ़ने पर पटना एसएसपी ने कहा था कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला गया। 

नगर निकायों में परामर्श समिति गठित करने की मांग 

सुशील मोदी ने 23 जून को बिहार के भंग नगर निकायों में पंचायत के समान ‘परामर्श समिति’ का गठन किये जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि भंग हुई नगर निकायों में त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के समान प्रशासक के बजाय भंग निकाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों की ‘परामर्श दात्री समिति’ का गठन किया जाए, जो चुनाव संपन्न होने तक निकाय के सभी कार्यों का निष्पादन कर सकें। इसके लिए मोदी ने पूर्व का उदाहरण दिया। कहा कि कोविड एवं कतिपय कारणों से बिहार में 2021 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव समय पर संपन्न नहीं हो सका था। उस समय राज्य सरकार ने बिहार पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश, 2021 द्वारा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद के लिए ‘परामर्शी समिति’ का गठन किया था जिसमें मुखिया, प्रमुख, अध्यक्ष एवं उन निकायों के सदस्यगण पहले के समान चुनाव संपन्न होने तक कार्य करते रहे थे।

सुशील मोदी ने कहा कि पंचायत की तर्ज पर ही बिहार नगरपालिका अधिनियम की विभिन्न धाराओं में राज्य सरकार को अधिकार है कि यदि वह चाहे तो निकाय भंग होने के पश्चात चुनाव संपन्न होने तक भंग नगर निकाय के निर्वाचित जनप्रतिनिधि एवं सदस्यगण को नगर निकाय चलाने का अधिकार दे सकती है। मोदी ने कहा कि अगले तीन माह मानसून और फिर दशहरा, दिवाली, छठ के मद्देनजर नवंबर तक चुनाव कराना संभव नहीं दिखता है। अतः बेहतर होगा कि चुनाव संपन्न होने तक ‘परामर्श समिति’ का गठन कर नगर निकायों का कार्य संपन्न कराया जाए। अभी तक सुशील मोदी की इस मांग या सलाह पर सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। 

नीतीश सरकार से अग्निवीरों को भर्ती में प्राथमिकता देने की मांग

अग्निवीर योजना को लेकर बिहार में जमकर उपद्रव हुआ  सत्ताधारी दल बीजेपी के दफ्तर और नेता निशाने पर थे। इसके बाद बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने 16 जून को नीतीश सरकार से बड़ी मांग की थी। उन्होंने नीतीश सरकार से अपील करते हुए कहा था कि बिहार सरकार भी अग्निवीरों को भर्ती में प्राथमिकता देने की घोषणा करे. भाजपा विधायकों पर हमले और कार्यालयों में आगजनी- तोड़फोड़ करना निंदनीय है. पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा कई राज्य सरकारों ने अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्र पुलिस बल और अन्य सेवाओं में प्राथमिकता देने की घोषणा की है। ऐसी पहल बिहार सरकार को भी करनी चाहिए।मोदी ने छपरा के भाजपा विधायक डाक्टर सीएन गुप्ता के घर पर हमला, वारसलीगंज की विधायक अरुणा देवी की गाड़ी को निशाना बनाने, नवादा के भाजपा कार्यालय में आगजनी  और मधुबनी  कार्यालय में तोड़फोड़ की घटनाओं की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा था कि सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं की आड़ में सक्रिय असामाजिक तत्वों पर प्रशासन को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। 

मोदी की आवाज पर ध्यान खत्म 

बीजेपी शासित कई राज्यों ने अग्निवीरों को बहाली में प्राथमिकता देने की घोषणा की। लेकिन बिहार में जहां भाजपा सत्ता में न सिर्फ साझीदार है बल्कि बड़ा दल है, यहां सुशील मोदी की मांग पर विचार नहीं किया गया। नीतीश सरकार ने बिहार की नौकरी में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणा नहीं की। इस तरह से सुशील मोदी की आवाज अब बिहार के सत्ता के गलियारे में नहीं गुंज रही। 




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