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पश्चिम चंपारण में प्रलयः गंडक के प्रचंड रूप से सहमे दियारावासी, हर तरफ दिख रहा बर्बादी का मंजर, प्रशासन की मदद से महरूम हैं स्थानीय

पश्चिम चंपारण में प्रलयः गंडक के प्रचंड रूप से सहमे दियारावासी, हर तरफ दिख रहा बर्बादी का मंजर, प्रशासन की मदद से महरूम हैं स्थानीय

BETTIAH: पश्चिम चंपारण जिले में बह रही सभी नदियां खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं। नेपाल से करीब होने के कारण जब भी वहां के बराज से पानी छोड़ा जाता है, बिहार के सटे इलाकों में तबाही का आलम नजर आता है। फिलहाल जिले में गंडक नदी का जलस्तर लगातार कम हो रहा है, लेकिन गंडक नदी का पानी दियारावर्ती निचले इलाको में घुस चुका है। इस वजह से दियारा इलाके में रहने वाले लोगों की परेशानी कई गुना ज्यादा बढ़ गई है।

गंडक का पानी दियारावासियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। बाढ़ से हुई बर्बादी की यह तस्वीर योगापट्टी प्रखंड क्षेत्र के जरलपुर खुटवनिया पंचायत की है। जहां गांव में बाढ़ का पानी घुस जाने के कारण हर तरफ सिर्फ और सिर्फ बाढ़ से हुई बर्बादी के निशान ही देखने को मिल रहे हैं।हालात इतने बुरे हैं कि लोग अपने ही घर-गांव में शरणार्थी का जीवन बिताने को मजबूर हैं। हैरत की बात तो यह कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मार्च के महीने से ही बाढ़ को लेकर मीटिंग की जा रही है, जिसमें लोगों को बराबर ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि इसके बावजूद अभी तक प्रशासन की टीम यहां तक नहीं पहुंची है। कुछ लोग झोपड़ी तो कुछ मचान के उपर शरण लिए हुए हैं तो कहीं मचान बनाकर लोग जीवन जीने को मजबूर हैं। पिछले कई दिनों से लगातार हुई बारिश के साथ गंडक नदी में उफान आ गया और गंडक में इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित गंडक बराज वाल्मीकीनगर से चार लाख क्यूसेक से अधिक पानी क्या छोड़ा गया। यही पानी कुछ दिनों बाद इस इलाके में लोगों के घरों में पहुंचकर बर्बादी और तबाही का सबब बन गया है।

दशको से बाढ़ और कटाव का दंश झेलने वाले योगापट्टी प्रखंड के दियारावती क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया जिसके कारण सभी बाढ़ प्रभावित गांवो का प्रखंड मुख्यालय और ज़िला मुख्यालय से संपर्क टूट गया।अब खुटवनिया जरलपुर पंचायत के जरलपुर साही बाजार, डिही, गजना, सिसवा मंगलपुर, चौमुखा, मंगलपुर दर्जनों गांवों में पानी घुस गया। जिसके कारण लोगो के घरो में भी2फीट से अधिक पानी भर गया है। बहरहाल गंडक नदी का जलस्तर घटने से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। प्रशासन की उदासीनता ने इनके दर्द को कम करने के बजाए और बढ़ा दिया है। अब बाढ़ के साथ साथ कटाव की चिंता लोगों को सता रही है।



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