PATNA : बिहार ही नहीं देश के कई राज्यों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम को लेकर राजनीति की जाती है। राज्य के लगभग राजनीतिक दल में कोई न कोई नेता ऐसा जरुर होगा, जो जेपी की सम्पूर्ण क्रांति का हिस्सा था। ऐसे में एक बाद फिर संपूर्ण क्रांति के प्रणेता जयप्रकाश नारायण को लेकर देश में बड़ी सियासत हो रही है।
जेपी की जयंती यानी 11 अक्तूबर को एक तरफ बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जेपी के गांव सिताबदियारा पहुंचेंगे। तो वहीं दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नागालैंड में उनकी जयंती मनाएंगे और उसके बाद तुरंत ही बिहार आकर अपनी जुबानी जेपी की कहानी कार्यक्रम में शामिल होंगे। जो बड़े स्तर पर पटना के बापू सभागार में आयोजित किया जा रहा है।
बताते चलें की बिहार के छपरा जिले का सिताबदियारा गाँव जहाँ लोकनायक का जन्मभूमि रही है। वहीँ नागालैंड जेपी का कर्मभूमि रहा है। बताया जाता है की जब नागालैंड अशांत था, तब जेपी ने 6 महीने तक प्रयास किया, वहां सीजफायर करवाया और उसके बाद 3 साल तक वहीं रह गए। गांव-गांव जाकर उन्होंने भ्रमण किया। नागालैंड में आज भी उन्हें भरपूर सम्मान दिया जाता है।
गौरतलब है की पिछले चुनाव में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड में जेडीयू का बेहतर प्रदर्शन रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार और ललन सिंह का नागालैंड में जेपी का जयंती मनाना, आने वाले चुनाव के मद्देनजर देखा जा रहा है। हालांकि अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में जेडीयू के टूटने के बाद नीतीश कुमार का यह पहला दौरा होगा। 2023 में नागालैंड में विधानसभा चुनाव होना है। पिछली बार नागालैंड में जेडीयू ने एक सीट जीती थी। हालांकि बाद में जेडीयू के विधायक ने अपना पाला बदल लिया था।