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अस्पताल नहीं 'माफिया' कहिएः दानापुर के 'समय' हॉस्पिटल का काला धंधा हो गया नंगा, कोरोना आपदा को अवसर में बदल सैकड़ों रेमडेसिविर का किया कालाबाजारी

अस्पताल नहीं 'माफिया' कहिएः दानापुर के 'समय' हॉस्पिटल का काला धंधा हो गया नंगा, कोरोना आपदा को अवसर में बदल सैकड़ों रेमडेसिविर का किया कालाबाजारी

PATNA: कोरोना के इस आपदा में कुछ ऐसे अस्पताल हैं जो काले धंधे में शामिल हैं। वैसे अस्पतालों का बेबस मरीजों को लूटना ही एक मात्र मकसद है। निजी अस्पताल आपदा को अवसर में बदलकर खूब धंधा कर रहे। दानापुर इलाके में तो कुछ ऐसे अस्पताल हैं जो काला धंधा करने के लिए बदनाम हैं। सगुना मोड़ के समय अस्पताल का बदरंग चेहरा बेनकाब हो गया है। समय अस्पताल के खेल का भांडा फूटा है और अब प्रबंधन के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। जांच में यह बात सामने आई है कि समय अस्पताल ने दवा कंपनी की मिलीभगत से 680 वायल रेमडेसिविर अधिक खरीद कर कालाबाजारी किया है। केस दर्ज होने के बाद पुलिस की छानबीन आगे बढ़ी है। अगर निष्पक्ष जांच हो तो आपदा में लूटने वाले ऐसे अस्पतालों का शटर बंद हो सकता है।

समय अस्पताल के खेल का खुलासा

दानापुर के सगुना मोड अवस्थित समय अस्पताल के खेल का खुलासा हुआ है। अस्पताल प्रबंधन ने दवा कंपनी के साथ मिल कोरोना आपदा में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का खूब धंधा किया। डिस्चार्ज मरीजों के नाम पर रेमडेसिविर का उठाव किया। रेमडेसिविर कालाबाजारी के मामले में जब ड्रग विभाग की टीम ने शनिवार को सगुना मोड़ स्थित समय अस्पताल परिसर के समय मेडिको में छापेमारी की तो प्रबंधऩ की पूरी पोल खुल गई।  तीन सदस्यीय टीम ने जांच में पाया कि 22 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती 3 मरीजों को डिस्चार्ज कर दिया गया इसके बाद भी उसके नाम पर ड्रग विभाग से रेमडेसिविर अलॉट करा लिया। समय अस्पताल ने 30 अप्रैल को सुई ले लिया। .ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि समय मेडिको की मालिक सोनल सिंह व उनके पति डॉ अखिलेश कुमार सिंह के खिलाफ दानापुर थाने में इंजेक्शन कालाबाजारी,आपदा प्रबंधन अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम व आईपीसी की धारा के अधीन केस दर्ज किया गया है. केस दर्ज कराने के बाद दानापुर पुलिस छानबीन में जुट गई है. छापेमारी में पाया गया है कि रेमजेसिविर इंजेक्शन का दवा कंपनी के साथ मिलकर बड़े स्तर पर घालमेल किया गया है। समय अस्पताल में दवा कंपनी से मिलकर 680 वायल अधिक इंजेक्सन प्राप्त किया है। 46 इंजेक्शन का बेचने का कोई कागज नहीं मिला। 

वही समय अस्पताल के मालिक के पति डॉक्टर अखिलेश ने कहा कि प्रिंट मूल्य पर ही मरीजों को इंजेक्शन दिया गया है। छापेमारी करने आई टीम को सही जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी क्योंकि कई कर्मचारी कोरोना संक्रमित हैं और इलाज करवा रहे हैं .अस्पताल में कोई कालाबाजारी नहीं हुई है

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