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ये कैसा सुशासन? एक-एक मारे जा रहे RTI कार्यकर्ता...आज विपीन अग्रवाल का था नंबर, नीतीश राज में अब तक 20 एक्टिविस्ट की हत्या

ये कैसा सुशासन? एक-एक मारे जा रहे RTI कार्यकर्ता...आज विपीन अग्रवाल का था नंबर, नीतीश राज में अब तक 20 एक्टिविस्ट की हत्या

PATNA: बिहार में आज एक बार फिर से आरटीआई कार्यकर्ता की दिनदहाड़े ब्लॉक दफ्तर के दरवाजे पर गोलियों से भून दिया गया। मामला मोतिहारी का है। पूर्वी चंपारण(मोतिहारी) के हरसिद्धि में RTI कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल को अपराधियों ने ब्लॉक गेट पर गोली मार कर हत्या कर दी। विपीन अग्रवाल ऐसे अकेले आईटीआई कार्यकर्ता नहीं जिनकी इस तरह से हत्या की गई हो। पिछले साल भी इसी मोतिहारी में एक और आरटीआई कार्यकर्ता की बीच सड़क पर गोलियों से भून दिया गया था। नीतीश राज में पिछले एक दशक में 20 से अधिक आरटीआई कार्यकर्ता अपनी जान गवां चुके हैं.

मोतिहारी में अपराधियों ने RTI कार्यकर्ता को भून डाला

मोतिहारी के आरटीआई कार्यकर्ता विपीन अग्रवाल भ्रष्टाचार पर लगातार चोट करते थे। उन्होंने अब तक कई बड़े फर्जीवाड़े की पोल खोली थी। अग्रवाल ने नेताओं-अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन फर्जीवाडे की हकीकत को सामने लाया था। जानकारी के अनुसार पिछले साल भी अपराधियों ने हमला किया था। आज शुक्रवार को वह घर से हरसिद्धी अंचल कार्यालय किसी काम से गए थे। इसी बीच अज्ञात अपराधियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर उन्हें चार गोली मारी और फरार हो गए। घटना की सूचना पर हरसिद्धि थाना पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और विपिन अग्रवाल को मौके से उठाकर मोतिहारी सदर अस्पताल पहुंचाया। हालांकि, उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। मृतक के पिता विजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि बेटे ने हरसिद्धि क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर कई RTI आवेदन दाखिल किया था। इस कारण 2020 में भी मेरे घर पर अपराधियों ने घर पर धावा बोल गोलीबारी की थी। इसको लेकर स्थानीय थाना को सनहा दिया गया था, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

2010 से अब तक 20 RTI कार्यकर्ताओं की हत्या

बिहार की बात करें तो 2010 से लेकर अब तक 20 आरटीआई एक्टिविस्ट सूचना मांगने में अपनी जान गवां चुके हैं. 2010 में बेगूसराय में आरटीआई कार्यकर्ता शशिधर मिश्रा की हत्या हुई थी .उसके बाद 2011 में लखीसराय के आरटीआई कार्यकर्ता रामविलास सिंह की हत्या की गई. 2012  में ही मुंगेर के डॉक्टर मुरलीधर जायसवाल, 2012 में मुजफ्फरपुर में राहुल कुमार, भागलपुर के राजेश यादव की अपराधियों ने हत्या कर दी थी . 2013 में मुजफ्फरपुर में रामकुमार ठाकुर अधिवक्ता हत्या हुई थी. 2015 में पटना के सुरेंद्र शर्मा 2015 में ही बक्सर के पूर्व सैनिक गोपाल प्रसाद, मुजफ्फरपुर के जवाहर तिवारी की हत्या कर दी गई थी.  2017 में भोजपुर के मृत्युंजय सिंह की हत्या हुई थी. 2018 में सहरसा के आरटीआई कार्यकर्ता राहुल झा की हत्या हुई थी. 2018 में वैशाली के जयंत कुमार, मोतिहारी के राजेंद्र प्रसाद सिंह, जमुई के बाल्मीकि यादव, धर्मेंद्र यादव एवं बांका के भोला साह की हत्या कर दी गई। 2020 की अगर बात करें तो पटना के बिक्रम में पंकज कुमार सिंह एवं बेगूसराय के आरटीआई कार्यकर्ता श्यामसुंदर कुमार सिन्हा की हत्या की गई. वहीं अब मोतिहारी में विपीन अग्रवाल की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी।

सूचना मांगने का मतलब जान देना

बिहार के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय कहते हैं कि बिहार में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने का मतलब है अपनी जान को जोखिम में डालना। 2010 से लेकर अब तक 20 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई । वहीं सैकड़ों लोगों पर फर्जी मुकदमें दर्ज किये गए ।कई आरटीआई कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले हुए। लेकिन बिहार की पुलिस अधिकांश मामलों में आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं करती।


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