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एक कट्टर वामपंथी से दयालु पूंजीवादी कैसे बने इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति, जानिए मूर्ति की जुबानी.....

एक कट्टर वामपंथी से दयालु पूंजीवादी कैसे बने इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति, जानिए मूर्ति की जुबानी.....

NEWS4NATION DESK : देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति कभी एक कट्टर वामपंथी हुआ करते थे। इस बात को जानकर आपको विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होगा, लेकिन यह सच है। नारायण मूर्ति ने खुद ही इस बात का खुलासा किया है। 

नारायण मूर्ति ने एक कट्टर वामपंथी से सफल दयालु पूंजीवादी कैसे बने इसकी पूरी कहानी उन्होंने बताई है। 

रविवार को आईआईटी मुंबई के टेक फेस्ट में नारायण मूर्ति ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि 1974 में सर्बिया और बुल्गारिया के सीमावर्ती शहर निस में ट्रेन यात्रा के दौरान एक कड़वे अनुभव ने उन्हें "दयालु पूंजीवादी' में बदल दिया। जिसके बाद उन्होंने इंफोसिस को बनाया।

घटना को याद करते हुए मूर्ति ने बताया कि मैंट्रेन मेंएक लड़की से बातचीत कर रहा था, जो केवल फ्रेंच समझ सकती थी।हम बुल्गारिया में जीवन के बारे में बात कर रहे थे। उसबीच लड़की के साथी लड़के को किसी वजह से परेशानी हुई और वह उठा और पुलिस लेकर आ गया। इसके बाद बुल्गारियाई गार्ड ने मेरा पासपोर्ट, लगेज सब जब्त कर लिया औरमुझे घसीटकर ले गए।मुझे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया।

मूर्ति ने बताया कि अगले दिन पुलिस उन्हें प्लेटफार्म पर ले गई और एक मालगाड़ी के गार्ड के डिब्बे में धक्का देकर बैठा दिया। मूर्ति ने बताया कि पुलिस के जवान ने उनसे कहा कि तुम मित्र देश से हो, इसलिए हम तुम्हें जाने दे रहे हैं। इस्तांबुल पहुंचने पर तुम्हारा पासपोर्ट तुम्हें दे देंगे। इस दौरान पांच दिन तक मूर्ति के पास खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं था।

उन्होंने बताया कि तभी मैने सोचा कि अगर कोई देश दोस्त के साथ ऐसा बर्ताव करता है, तो मैं कभी भी एक कम्युनिस्ट देश का हिस्सा नहीं बनना चाहूंगा। मूर्ति ने कहा कि इस घटना ने मुझे भ्रमित वामपंथी की जगह "दयालु पूंजीपित' बना दिया। मैंने तभी अपना कारोबार करने के बारे में निश्चय कर लिया था।

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