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हुजूर! बचा लीजिए....नीतीश राज में विधायक 'हिजड़ा' हो गए हैं, अमित शाह-नड्डा के सामने भाजपा MLA का छलका दर्द

हुजूर! बचा लीजिए....नीतीश राज में विधायक 'हिजड़ा' हो गए हैं, अमित शाह-नड्डा के सामने भाजपा MLA का छलका दर्द

PATNA: नीतीश सरकार से भाजपा के विधायक खुशी नहीं हैं। पार्टी के विधायकों ने अपने शीर्ष नेतृत्व से दिल की बात बताई है। बिहार बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आयोजित विधायक-सांसदों की मीटिंग में  एमएलए-एमपी ने अपनी भड़ास निकाली। सामने मंच पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह बैठे थे। शीर्ष नेतृत्व के सामने ही सत्ताधारी दल बीजेपी के विधायकों ने नीतीश सरकार में हो रही अपनी उपेक्षा को लेकर बात कही। एक विधायक ने तो नड्डा-शाह के सामने यहां तक कह दिया कि इस राज में विधायक हिजड़ा हो गये हैं। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व विधायकों की प्रतिष्ठा बचाने को आगे आये। 

 हुजूर...हिजड़ा हो गये विधायक 

बीजेपी संयुक्त मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पटना पहुंचे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह ने बिहार के सांसदों-विधायकों और विधान पार्षदों के साथ बैठक की।रविवार की देर शाम प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में नेतृत्व ने विधायकों से कहा कि आप अपनी बात रखें. कई विधायकों ने खुलकर अपनी बात रखी और पीड़ा का इजाहर किया। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई है कि विधायकों ने कहा कि भले ही हमलोग सत्ता में हों, लेकिन बीजेपी विधायकों की बात प्रशासनिक अफसर नहीं सुनते। बीजेपी के एक विधायक ने तो यहां तक कह दिया कि वर्तमान सरकार में विधायकों की कोई पूछ नहीं। उन्होंने अमित शाह और जेपी नड्डा के सामने यहां तक कह दिया कि इस राज में विधायक हिजड़ा हो गये हैं। बजाप्ता उन्होंने कविता के अंदाज में अपना दर्द बयां किया। हालांकि भाजपा विधायक के दर्द भरी कविता के बाद भी शीर्ष नेतृत्व संज्ञान लेते नहीं दिखा। 

समय का इंतजार और काम करने की सलाह  

बीजेपी की मीटिंग में कई अन्य विधायकों और सांसदों ने भी अपनी बात रखी। एक विधायक ने बीस सूत्री कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने की मांग उठाई। कहा लगया कि वर्तमान सरकार के दो साल बीतने को हैं लेकिन आज तक बीस सूत्री का गठन नहीं हुआ। अगर बीस सूत्री का गठन होता तो एक हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को एडजस्ट किया जा सकता था। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी नेतृत्व ने विधायकों की बातों को गंभीरता से सुना। हालांकि अमित शाह-नड्डा की तरफ से यह साफ कर दिया गया कि एकला चलने का कोई योजना नहीं है। विश्वस्त सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि नेतृत्व की तरफ से एक उदाहरण बताकर समझाने की कोशिश की गई कि अभी वो समय नहीं आया है। समय से पहले निर्णय लेना बेवकूफी है। साथ ही यह भी कहा गया कि 2015 में हमलोग नीतीश कुमार से अलग होकर बिहार विस का चुनाव लड़े थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। अमित शाह-जेपी नड्डा ने बिहार बीजेपी के विधायकों-सांसदों को बता दिया कि किसी सरकार में सभी को खुश नहीं किया जा सकता। जहां बीजेपी की सरकार हैं उस राज्य में भी हर विधायक और कार्यकर्ता को खुश नहीं रखा जा सकता। वहां भी नारजगी रहती है। ऐसे में इन नाराजगी को भूलाकर पार्टी कैसे मजबूत हो इस पर काम करने की जरूरत है। 




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