Patna : बिहार में शिक्षकों के नियोजन का मुद्दा गरमाते जा रहा है। नियोजन प्रक्रिया रुकने के बाद अभ्यर्थियों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है। अभ्यर्थियों ने ट्वीटर पर ट्रेंड करा दिया कि नियोजन नहीं तो वोट नही। इसके बाद नीतीश सरकार सतर्क हो गयी।
चुनावी साल में इस तरह का अभियान से सरकार सचेत हो गयी और अभ्यर्थियों के गुस्से को शांत करने की कोशिश शुरू हो गयी। बस क्या था शिक्षा विभाग ने अपर महाधिवक्ता को पत्र लिख हाई कोर्ट से जल्द सुनवाई के आग्रह करने को कह दिया। इसके बाद उस पत्र को सार्वजनिक करा दिया गया। ताकि लोग जान सकें कि बिहार सरकार नियोजन के लिए प्रयासरत है।
सरकार ने 29 जुलाई को महाधिवक्ता को लिखा पत्र
बिहार में 90000 शिक्षकों के नियोजन की कार्रवाई एक बार फिर से शुरू करने को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता को पत्र लिखा है बिहार सरकार की तरफ से अधिवक्ता को कहा गया है की 17 दिसंबर 2019 के नियोजन संबंधी आदेश पर पटना हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है और अगली तिथि 7 सितंबर निर्धारित की है।
Rk महाजन ने अपने पत्र में कहा कि पटना हाई कोर्ट के उक्त आदेश से प्राथमिक शिक्षक नियोजन की कार्रवाई करने में बाधा उत्पन्न हुई है। उक्त दोनों केस में विभाग द्वारा प्रति शपथ और IA दायर करने की कार्रवाई की जा रही है।
इसलिए आपसे अनुरोध है कि दोनों वादों पर जल्दी सुनवाई हेतु हाई कोर्ट से अनुरोध करने और विभाग का पक्ष रखें।
तेजस्वी ने भी नीतीश सरकार पर दागे सवाल
नियोजन नहीं तो वोट नही को आगे बढ़ाते हुए तेजस्वी यादव भी इस लड़ाई में कूद गए। उन्होंने ट्वीट कर नीतीश सरकार से सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि आदरणीय नीतीश जी बतायें कि इतनी बेरोजगारी के बावजूद वर्षों से हज़ारों प्राथमिक शिक्षको की नियोजन प्रक्रिया लंबित क्यों है?