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राजद ने कर दिया अगर यह काम तो बिहार के मुख्यमंत्री बन जाएंगे तेजस्वी, होली के बाद सीएम बनने का समझिये प्लान

राजद ने कर दिया अगर यह काम तो बिहार के मुख्यमंत्री बन जाएंगे तेजस्वी, होली के बाद सीएम बनने का समझिये प्लान

पटना. अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने राजग से अलग होकर महागठबंधन संग बिहार में सरकार बनाई उसके बाद से लगातार यह चर्चा चल रही है आखिर तेजस्वी यादव बिहार के सीएम कब बनेंगे. राजद और जदयू के कई नेताओं ने पिछले कुछ महीनों के दौरान लगातार इसे लेकर अलग अलग तरीके की बयानबाजी की है. हालांकि पहले जदयू अध्यक्ष ललन सिंह और अब खुद तेजस्वी यादव ने इससे इनकार किया है कि बिहार में सीएम बदलने वाले हैं. लेकिन, राजनीतिक जानकारों की मानें तो तेजस्वी भले यह कह रहे हों कि उन्हें सीएम बनने की जल्दी नहीं है. इसके बाद भी राजद की ओर से हर उस विकल्प को टटोला जा रहा है जिससे तेजस्वी बिहार के सीएम बन जाएं. यही कारण है कि राजद विधायक विजय मंडल ने दावा किया है कि होली के बाद तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होंगे. इसकी खास वजह भी है. 

दरअसल, अगर बिहर विधानसभा में राजनीतिक दलों के संख्या बल को देखें तो राजद के 79 विधायक जबकि जदयू के 44 एमएलए हैं. वहीं कांग्रेस के 19 और लेफ्ट के 16 के अलावा जीतन राम मांझी के हम के 4 और निर्दलीय के 1 विधायक हैं. वहीं दूसरी और भाजपा के 78 विधायक हैं. वहीं सदन में बहुमत के लिए 122 विधायक चाहिए. राजद अगर कांग्रेस, लेफ्ट, हम और निर्दलीय का समर्थन हासिल भी कर ले तो उसकी संख्या 119 होगी. यानी बहुमत से कम. ऐसे में राजद के पास एक विकल्प बचता है जिससे वह बहुमत का आंकड़ा जुटा ले. इसमें या तो जदयू को तोड़ दिया जाए या फिर भाजपा में टूट डाली जाए. यहां वही फार्मूला अपनाया जा सकता है जो फार्मूला महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना के साथ अपनाया था. 

अगर जदयू के 10 विधायकों को तोड़ दिया जाता है तो राजद के पास पर्याप्त बहुमत आ जाएगा. जिस तरह से महाराष्ट्र में शिवसेना को तोड़कर शिंदे गुट ने अपने लिए बहुमत का आंकड़ा जुटाया बिहार में भी कुछ वैसा ही हो सकता है. अगर जदयू के 10 विधायक टूटते हैं तो उन्हें अलग गुट की मान्यता सदन में दी जा सकती है. चुकी विधानसभा अध्यक्ष राजद के हैं तो यह कराना राजद के लिए आसान होगा. इसी तरह से महाराष्ट्र में शिंदे गुट को मान्यता मिली थी. वहीं दूसरी ओर अगर भाजपा के 20 विधायक टूटते हैं तो उन्हें भी सदन में अलग गुट की मान्यता मिल सकती है. इससे राजद इन विधायकों के समर्थन से तेजस्वी को सीएम बनाने में सफल हो सकता है. 

हालांकि राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तोड़ने का विकल्प रहने के बाद भी राजद की ओर से फ़िलहाल जदयू में टूट की कोई पहल नहीं की जाएगी. इससे तेजस्वी की छवि को नुकसान हो सकता है. वहीं 25 फरवरी को महागठबंधन की महारैली पूर्णिया में हो रही है. वहां से महागठबंधन एक संदेश देने की कोशिश करेगा कि बिहार में हम सब एक हैं. चुकी तेजस्वी जानते हैं कि अगर जदयू में टूट हुई तो इसका बड़ा नुकसान 2024 के लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. इससे भाजपा, राजद और जदयू तीन अलग अलग गुट में चुनाव लड़ेंगे और संभव में त्रिकोणीय मुकाबले में फिर से परिणाम 2014 के लोकसभा चुनाव वाला हो जाए. 

इसलिए विजय मंडल भले ही तेजस्वी को होली के बाद सीएम बनने की बात कर रहे हों. लेकिन, संख्या बल उनके पास नहीं है. अगर संख्या बल जुटाने के लिए तोड़फोड़ की कोशिश की जाए तो उससे भी नुकसान राजद को हो सकता है. इन सबको देखते हुए ही शायद तेजस्वी यादव ने बयान दिया है कि उन्हें सीएम बनने की जल्दी नहीं है. 


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