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संस्कृत में हो रही असुविधा तो अवधी भाषा में करें श्रीदुर्गा चरित मानस का पाठ, 'स्वामीआगमानंद' जी रचित रचना है सर्वग्राही

संस्कृत में हो रही असुविधा तो अवधी भाषा में करें श्रीदुर्गा चरित मानस का पाठ, 'स्वामीआगमानंद' जी रचित रचना है सर्वग्राही

पटना. श्रीशिव शक्ति योगपीठ के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद  जी महाराज रचित श्री दुर्गा चरित मानस पुस्तक के डिजिटल स्वरूप (ऑडियो वीडियो) का लोकार्पण रविवार को पटना के स्थानीय होटल में किया गया। लोकार्पण कार्यक्रम में उद्घाटनकर्ता के रूप में विकास वैभव (विशेष सचिव गृह विभाग)  प्रोफेसर डॉ. विजयकांत दास (पूर्व प्रतिकुलपति रांची केंद्रीय विश्वविद्यालय) एवं अभय कुमार लाल लोकायुक्त निगरानी विभाग पटना उपस्थित थे।

स्वामी आगमानंद द्वारा रचित दुर्गा चरित मानस की रचना 108 दिनों में की गई। उपासना की दृष्टि से इस पुस्तक का अवधी रूपांतरण सर्वग्राही है। स्वामीजी द्वारा रचित यह ग्रंथ आसानी से आम लोगों की समझ में आ सकता है। साथ ही दुर्गा चरित मानस के डिजिटल स्वरूप (ऑडियो वीडियो) में भक्त दुर्गा चरित मानस के 13 अध्यायों के साथ-साथ कवच, अर्गला, किलक, व आरती  का श्रवण शुद्ध रूप में कर सकते हैं, जो युट्यूब चैनल swamiaagmanandpariwar पर उपलब्ध है। साथ ही पुस्तक में आम जन मानस  के लिए नित्य पूजन एवं पाठ की विधि भी विस्तार रूप में बतायी गयी है।

शास्त्रों के अनुसार सौ बार गलत उच्चारण के साथ पढ़ा गया मंत्र से फल की कभी प्राप्ति नहीं होती है। जब कि सही उच्चारण के साथ एक बार भी जपा गया मंत्र अच्छा फल प्रदान करता है। लेकिन संस्कृत के शब्दों का सही-सही उच्चारण कर श्रीदुर्गा सप्तशती का पाठ करना हर श्रद्धालुओं के लिए आसान भी नहीं होता है। ऐसे में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज संस्कृत भाषा से अवधी भाषा में रूपांतरित दुर्गाचरित  मानस श्रवण के बाद भाव विभोर  होते हुए विकास वैभव ने कहा कि यह रचना एक अद्भुत एवं अनुपम ग्रंथ है। लयात्मक रूप में दीपक जी की आवाज ने इसमें जीवंतता प्रदान कर दी है|

समयाभाव के कारण जो व्यक्ति पुस्तक का पाठ नहीं कर सकते वे श्रवण कर भी जीवन में शांति और आनंद की प्राप्ति कर सकते हैं। जिस प्रकार संस्कृत भाषा में उपलब्ध अनेको रचनाओ के बाबजूद गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित श्रीराम चरित मानस देश ही नही वरन संपूर्ण विश्व में विख्यात हुआ, उसी प्रकार आदिशक्ति दुर्गा के अनन्य उपासक परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज कि यह अलौकिक कृति श्रीदुर्गा चरित मानस विश्व में प्रशंसनीय, पठनीय, श्रवणीय एवं जन कल्याणनार्थ होंगे ।

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