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समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा : मुख्यमंत्री

समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा : मुख्यमंत्री

PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज मुजफ्फरपुर के एम0आई0टी0 कैंपस में राज्य में पूर्ण नशामुक्ति, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं बाल विवाह मुक्ति हेतु चलाए जा रहे समाज सुधार अभियान में शामिल हुए। आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ विकास का काम करेंगे तो उससे काम नहीं चलेगा। आपने 24 नवंबर 2005 से हमलोगों को काम करने का मौका दिया। उस समय से आपलोगों की सेवा कर रहा हूं। अगर समाज के सुधार के लिए काम नहीं होगा तो विकास का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। इसलिए शुरुआती दौर से ही हमलोगों ने इस पर काम करना शुरु किया। समाज में जो पीछे रह गये थे, समाज के उन तबकों के उत्थान के लिए हमलोगों ने विशेष ध्यान दिया। चाहे महिला हो, अनुसूचित जाति/जनजाति हो, अल्पसंख्यक हो या अतिपिछड़ा वर्ग के हों, उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विशेष पहल की गई। मुजफ्फरपुर से जुड़े जिले सीतामढ़ी, शिवहर, वैशाली हो सबका महत्व है। जब हमने शुरु किया अभियान तो सबसे पहले 2006 में होने वाले पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए हमने एक कानून बनाया, जिसमे तय किया की 50 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं के लिए रहेगा। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। उसके साथ-साथ महिलाओं के उत्थान के लिए हमलोगों ने कई काम किये। बिहार में उस समय बेहतर ढंग से स्वयं सहायता समूह गठित नहीं था। फिर भी कुछ जगहों पर था।

उन्होंने कहा की जब साइकिल योजना की शुरुआत किया तो कुछ लोगों ने मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा कि लड़की साइकिल चलाएगी तो रास्ते में लोग तंग करेगा। हमने कहा था कि एक आदमी की हिम्मत नहीं है कि लड़की साइकिल चलाएगी तो कोई उसको तंग करेगा। उसके बाद लडकों ने भी साइकिल की मांग करना शुरु किया तो उनके लिए दो-तीन साल बाद हमलोगों ने साइकिल योजना की शुरुआत की। सरकारी सेवाओं में भी हमलोगों ने आरक्षण दिया। पुलिस में हमलोगों ने आरक्षण देने का काम किया। पुलिस बल में जितनी महिलाएं अब बिहार में हैं उतना प्रतिशत देश के किसी भी राज्य में पुलिस बल में महिलाओं की संख्या नहीं है। महिलाओं की पढ़ाई, सरकारी सेवाओं में संख्या बढ़ रही है और जो जीविका समूह बनाया तो लोग किस तरह से अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं और कितना जागृति आ रही है। _मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी जब वर्ष 1977 में मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने शराबंदी लागू किया। लेकिन दो वर्ष बाद फिर से शराब शुरु कर दिया गया। हमारे मन में शराबबंदी की बात शुरु से थी। हमारे मन में आशंका थी कि शराबबंदी लागू कर पाएंगे कि नहीं। उन्होंने कहा कि हमलोग शराबबंदी को लेकर वर्ष 2011 से अभियान चला रहे हैं। इसको क्रियान्वित करने को लेकर मेरे मन में शंका थी. लेकिन जब वर्ष 2016 में महिलाओं के एक सम्मेलन में मैं गया हुआ था, महिलाओं के विकास की बातें हो रही थीं। जैसे ही हम बोलकर बैठे कि पीछे से महिलाओं ने आवाज लगायी शराब बंद कराईये। उसके बाद वापस हम माइक पर आये और कहा कि अगली बार अगर काम करने का मौका मिलेगा तो शराबबंदी लागू कर देंगे और हमने इसको लागू किया। लोगों को जागरुक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। 1 अप्रैल 2016 को पहले ग्रामीण इलाके में देशी और विदेशी शराब पर हमलोगों ने रोक लगायी, जबकि शहरी इलाकों में विदेशी शराब बंद नहीं किया गया था। शहरों में महिलाएं, लड़कियों, पुरुष वर्ग ने भी शराब के आवंटित दुकानों के खोले जाने पर कड़ा विरोध जताया और दुकानों को खोलने नहीं दिया उसके बाद 5 अप्रैल 2016 को राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई। बहत बड़े पैमाने पर लोगों ने साथ दिया। वर्ष 2016 में सभी जगहों पर महिलाओं के साथ, जीविका दीदियों के साथ हमने बैठक की। निरंतर यह अभियान चल रहा है। समाज सुधार अभियान जारी रखना है। जैसे हमलोगों ने शराबबंदी लागू करके अभियान चलाया। उसके बाद बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ भी अभियान चलाया। वर्ष 2017 में बड़े पैमाने पर हमलोगों ने अभियान चलाया। आज महिलाएं बाल विवाह, दहेज प्रथा के खिलाफ बोल रही थीं तो जरुरत इस बात की हमलोगों ने महसूस किया कि कुछ न कुछ गड़बड़ करने वाला रहेगा ही इसके लिए हमलोगों को निरंतर अभियान चलाते रहना है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी बाल विवाह होता है और बाल विवाह के शिकार कितने लोग होते हैं इसलिए इन सब बातों पर ध्यान देना है कि बच्चों की शादी कोई इस तरह से नहीं करे। उसकी वजह से कितने तरह की परेशानी बढ़ती है, ये सबको मालूम है इसलिए इस अभियान को जारी रखिए। बाल विवाह और दहेज प्रथा कितनी बुरी चीज है। दहेज के चक्कर में कितनी लड़कियों को आत्महत्या करनी पड़ती है। कितने लोगों की हत्या की गई है। महिलाओं की अगर कोई इज्जत नहीं करेगा तो इससे बढ़कर और गलत काम क्या है। हम सभी पुरुष, स्त्री यहां हैं। महिलाओं की देन है कि हमको ये जीवन मिला है। अगर महिला नहीं होती तो आप या कोई और धरती पर नहीं आते, इसलिए किसी को महिला की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। पुरुष-स्त्री समाज के दोनों अंग है, इन दोनों के वगैर समाज का विकास संभव नहीं है। पुरुषों में ये भाव नहीं आना चाहिए कि सब कुछ वही हैं और महिलाएं उनकी फॉलोवर हैं। महिलाओं और लड़कियों के प्रति अच्छी भावना रखें, तभी हम आगे बढ़ पाएंगे। आज महिलाओं की जागृति के चलते ही समाज आगे बढ़ रहा है और विकास का भी काम हो रहा है। हमलोगों को हमेशा शराबबंदी के पक्ष में और बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ निरंतर अभियान चलाना चाहिए ताकि लोगों में जागृति आए। शासन और प्रशासन को एक-एक चीज पर नजर बनाए रखना है।

सतत् जीविकोपार्जन योजना के तहत 9.41 करोड़ रूपये की राशि मुख्यमंत्री ने जीविका की दीदियों को डमी चेक प्रदान कर किया। स्वयं सहायता समूह को बैंकों द्वारा प्रदत राशि का डमी चेक मुख्यमंत्री ने प्रदान किया। जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत 15 जलाशयों के रख रखाव हेतु 18.81 लाख का डमी चेक मुख्यमंत्री ने प्रदान किया।

इस अवसर पर सांसद वीणा देवी, सांसद सुनील कुमार पिंटू, विधायक दिलीप राय, विधायक पंकज कुमार मिश्रा, विधायक अरुण कुमार सिंह, विधान पार्षद देवेशचंद्र ठाकुर, विधान पार्षद रामेश्वर महतो, जनप्रतिनिधिगण, विकास आयुक्त आमिर सुबहानी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह, ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी, तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त मिहिर कुमार सिंह, सूचना एवं जन-संपर्क विभाग सचिव अनुपम कुमार, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी बाला मुरुगन डी0, तिरहुत क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक गणेश कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, मुजफ्फरपुर जिले के जिलाधिकारी प्रणव कुमार, जिलाधिकारी वैशाली गीता सिंह, जिलाधिकारी सीतामढ़ी सुनील कुमार, जिलाधिकारी शिवहर सज्जन आर०, मुजफ्फरपुर के वरीय पुलिस अधीक्षक जयंत कांत, वैशाली के पुलिस अधीक्षक मनीष, सीतामढ़ी के पुलिस अधीक्षक हरिकिशोर राय, शिवहर पुलिस अधीक्षक संजय भारती सहित अन्य वरीय पदाधिकारी, जीविका दीदियां एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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