बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

पुस्तैनी जमीन के कागजात नहीं है तो अभी ढूंढ लें, बिहार में खोजा जा रहा पुरखों का दस्तावेज, वजह कर देगा हैरान...

पुस्तैनी जमीन के कागजात नहीं है तो अभी ढूंढ लें, बिहार में खोजा जा रहा पुरखों का दस्तावेज, वजह कर देगा हैरान...

PATNA: बिहार में सरकार जमीन से जुड़े विवाद को खत्म करने के लिए एक्शन मोड में है। इसके लिए सरकार प्रदेश में नए सिरे से सर्वे कराने की कार्रवाई चला रही है। सरकार की सोच है कि जमीनी विवाद को खत्म करने के लिए सर्वे होना जरुरी है। वहीं सरकार के इस फैसले की लोग जमकर तारीफ भी कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर प्रखंड स्तर पर सर्वे की कार्रवाई शुरू होने पर वैसे लोगों की कुछ अधिक बेचैनी बढ़ गई है, जिनके पास पुस्तैनी जमीन का कोई कागजात ही नहीं है। जमीन उनकी है, इसमें कोई दो मत नहीं है, लेकिन उसका कागजात घर में नहीं है।

दरअसल, सीतामढ़ी जिला रजिस्ट्री कार्यालय के रिकॉर्ड रूम (अभिलेखागार) में रखे गए पुरखों के केवाला के साथ ही खतियानी जमीन के रजिस्टर्ड दस्तावेज की खोजबीन बढ़ गयी है। अचानक रजिस्ट्री ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में दस्तावेजों की खोजबीन के सर्टिफाइड कॉपी लेने वालों की भीड़ बढ़ने लगी है। ऐसे में रजिस्ट्री ऑफिस रोजाना करीब सौ नये और पुराने दस्तावेजों की डिलीवरी (वितरण) किया जा रहा है।

मालूम हो कि पहले सीतामढ़ी जिला मुजफ्फरपुर जिला का ही अंग था। इस कारण सन 1965 से पूर्व का केवाला और अन्य कागजात मुजफ्फरपुर स्थित अभिलेखागार में सुरक्षित है। जो कागजात जिला में नहीं मिल रहा है, उसके लिए लोग मुजफ्फरपुर जा रहे हैं और वहां से कागजात लाकर सर्वे का काम करा रहे हैं। हालांकि मुजफ्फरपुर से बहुत सारे केवाला और अन्य कागजात सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया जा चुका है। ताकि लोग अपने जिला से ही कागजात ले सके। 

जानकारी अनुसार अब तक मुजफ्फरपुर रिकॉर्ड रूम से सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली के 11 रजिस्ट्री ऑफिस के दस्तावेज को भेजा गया है। इसमें वर्ष 1946 से लेकर 1978 और 1979 तक का दस्तावेज है। बाकी बचे दस्तावेजों की खोजबीन करते हुए भेजने की कार्रवाई चल रही है। 

गौरतलब है कि 73 साल बाद जमीन रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। इसी कारण पुराने दस्तावेज को निकाल कर सभी जिले को भेज दिया गया है। दस्तावेज का डिजिटलाइजेशन होने के बाद लोगों को अपने पुरखों की संपत्ति सहित अन्य जानकारी प्राप्त करने में सहूलियत होगी। घर बैठे ऑनलाइन पुराने दस्तावेज की खोजबीन कर सकते हैं। बताया गया है कि वर्ष 2006 से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया कंप्यूटराइज्ड हुई है। इसके बाद के सभी दस्तावेज भूमि पोर्टल पर उपलब्ध है, लेकिन पुराने दस्तावेज की खोजबीन के लिए अभी भी लोगों को चिरकुट फाइल करना पड़ता है।

Suggested News