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आईआईटी ने दी बड़ी चेतावनी, दिल्ली से बिहार के बीच आ सकता है 8.5 तीव्रता तक का भूकंप

आईआईटी ने दी बड़ी चेतावनी, दिल्ली से बिहार के बीच आ सकता है 8.5 तीव्रता तक का भूकंप

NEWS4NATION DESK : दिल्ली से बिहार के बीच बड़ा भूकंप आ सकता है। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 से 8.5 के बीच हो सकती है। आईआईटी कानपुर ने एक ताजा अध्ययन के बाद यह चेतावनी दी है।  आईआईटी कानपुर के सिविल इंजिनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जावेद एन मलिक कहना है कि पिछले 500 साल में गंगा के मैदानी क्षेत्र में कोई बड़ा जलजला रेकॉर्ड नहीं किया गया है। प्रो. मलिक का कहना  है कि रामनगर में चल रही खुदाई में 1505 और 1803 में भूकंप के अवशेष मिल रहे हैं।

तैयार किया जा रहा है भूकंप का डिजिटल ऐटलस
 प्रफेसर जावेद ने बताया कि शहरी नियोजकों, बिल्डरों और आम लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार के आदेश पर डिजिटल ऐक्टिव फॉल्ट मैप ऐटलस तैयार किया जा रहा है। इसमें सक्रिय फॉल्टलाइन की पहचान के अलावा पुराने भूकंपों का रेकॉर्ड भी तैयार हो रहा है। ऐटलस से लोगों को पता चलेगा कि वे भूकंप की फॉल्ट लाइन के कितना करीब हैं और नए निर्माण में सावधानियां बरती जाए।

रामनगर में मिल रहे 1505  और 1803 में आए भूकंप के प्रमाण 

इस ऐटलस को तैयार करने के दौरान टीम ने उत्तराखंड के रामनगर में जमीन में गहरे गड्ढे खोदकर सतहों का अध्ययन शुरू किया। जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क से 5-6 किमी की रेंज में हुए इस अध्ययन में 1505 और 1803 में आए भूकंप के प्रमाण मिले हैं। रामनगर जिस फॉल्ट लाइन पर बसा है, उसे कालाडुंगी फॉल्टलाइन नाम दिया गया है। 

प्रोफेसर जावेद के अनुसार, 1803 का भूकंप छोटा था, लेकिन मुगलकाल के दौरान 1505 में आए भूकंप के बारे में कुछ तय नहीं हो सका है। जमीन की परतों की मदद से इसे निकटतम सीमा तक साबित करना बाकी है। उनका दावा है कि कुछ किताबों में भी इसके प्रमाण मिले हैं। सैटलाइट से मिली तस्वीरों के अध्ययन से यह भी पता चला है कि डबका नदी ने रामनगर में 4-5 बार अपना अपना ट्रैक बदला है। अगले किसी बड़े भूकंप में यह नदी कोसी में मिल जाएगी। बरेली की आंवला तहसील के अहिच्छत्र में 12वीं से लेकर 14वीं शताब्दी के बीच भूकंपों के अवशेष मिले हैं।

दिल्ली एनसीआर से पटना तक होगा प्रभावित

प्रोफेसर मलिक का कहना है कि मध्य हिमालयी क्षेत्र में भूकंप आया तो दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और पटना तक का इलाका प्रभावित हो सकता है। किसी भी बड़े भूकंप का 300-400 किमी की परिधि में असर दिखना आम बात है। इसकी दूसरी बड़ी वजह है कि भूकंप की कम तीव्रता की तरंगें दूर तक असर कर बिल्डिंगों में कंपन पैदा कर देती हैं। गंगा के मैदानी क्षेत्रों की मुलायम मिट्टी इस कंपन के चलते धसक जाती है।
 
 उन्होंने बताया कि 1885 से 2015 के बीच देश में सात बड़े भूकंप दर्ज किए गए हैं। इनमें तीन भूकंपों की तीव्रता 7.5 से 8.5 के बीच थी। 2001 में भुज में आए भूकंप ने करीब 300 किमी दूर अहमदाबाद में भी बड़े पैमाने पर तबाई मचाई थी।

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