निचली अदालतों में वकीलों के बैठने के भवन निर्माण पर पटना हाईकोर्ट का बिहार सरकार से अहम सवाल

पटना. बिहार की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था एवं अन्य बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होने के मामले की पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को बताने को कहा कि राज्य के 38 जिलों में से कितने जिलों में वकीलों के भवन निर्माण के लिए जिलाधिकारियों ने भूमि चिन्हित करने  की कार्रवाई पूरी कर ली है। साथ ही उन जिलों के भी नाम कोर्ट ने तलब किया है, जहां ये कार्रवाई नहीं पूरी हुई है। कोर्ट ऐसे जिलाधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगेगा।  

पिछली सुनवाई में राज्य के सभी जिलों के डीएम और ज़िला जज ऑनलाइन उपस्थित रहे थे। उन्होंने कोर्ट को भवनों के लिए भूमि अधिग्रहण और निर्माण के सम्बन्ध में प्रगति रिपोर्ट पेश किया था। वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए वकीलों के लिए बनने वाले भवनों के निर्माण से संबंधित कार्रवाई ब्यौरा तलब किया था। पिछली सुनवाई में श्री शर्मा ने कोर्ट को बताया था कि भवनों का निर्माण राज्य सरकार के भवन निर्माण भवन निर्माण विभाग करें,तो काम तेजी से हो सकेगा।ठेकेदारी के काम में बिलम्ब होने के अलावे लागत भी ज्यादा आएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है। अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते है,लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।  वकीलों के लिये शुद्ध पेय जल,शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती हैं। 

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उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है,वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है। जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया हैं। इस मामलें पर अगली सुनवाई 9 फरवरी 2023 को की जाएगी।