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समलैंगिकता के लिए कहीं जेल तो कहीं मिलती मौत की सज़ा

समलैंगिकता के लिए कहीं जेल तो कहीं मिलती मौत की सज़ा

समलैंगिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बहस चल रही है, भारत में IPC 377 के अंतर्गत समलैंगिकता को उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है. समलैंगिकता को लेकर यह लड़ाई हिंदुस्तान और दूसरे देशों में काफी समय से लड़ी जा रही है. समलैंगिक का कहना है कि उन्हें उस चीज़ की सज़ा क्यों मिले जो उन्होंने जान बुझ कर नहीं की हो.

समलैंगिकता को लेकर सख्त कानून केवल भारत में ही नहीं और भी देश में है. कहीं उम्र कैद तो कहीं मौत की सज़ा है. दुनिया में कुछ ऐसे देश हैं जहां समलैंगिक संबंधों में मौत की सजा का प्रावधान है। जी हां, ईरान, मारुतानिया, सऊदी अरब, सूडान और यमन ऐसा देश हैं जहां इस सजा का प्रावधान दिया गया है. वहीं दुनिया के कुछ देशों में समलैंगिक लोगों को आम लोगों की तरह शादी करने का अधिकार है.

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दुनिया के 72 देशों में समलैंगिक संबंध अब भी अपराध माने जाते हैं। इतना ही नहीं अब भी कई देश ऐसे हैं जहां इस अपराध के लिए सीधे मौत की सजा है। इनमें ईरान, सूडान, यमन, सऊदी अरब और सोमालिया जैसे देशों में इसके लिए मौत की सजा है. ईरान में 1970 तक समलैंगिकता को मान्यता मिली हुई थी, लेकिन 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद देश में सिविल कोड लागू कर दिया गया। इसके तहत समलैंगिकता अपराध की श्रेणी में आने लगा। इसके लिए मौत की सजा का भी प्रावधान है.

सऊदी में शरीया कानून के तहत समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर्स को मौत की सजा दी जाती है. सन् 1901 से लागू फेडरल लॉ के मुताबिक, नाइजीरिया में समलैंगिक संबंध अपराध है और इसके लिए 14 साल जेल की सजा दी जाती है. मॉरिटेनिया के 1983 क्रिमिनल कोड के अुनच्छेद 308 के तहत सभी मुस्लिम महिलाओं और पुरुष के लिए समलैंगिक संबंध को अप्राकृतिक बताया गया है.

भारत में अब इसकी क्या सुनवाई होती है ये देखना जरुरी है. अधिकार मिलेगा या अधिकार का जंग चलता रहेगा 

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