पटना. राजनीती में कोई किसी का सगा नहीं होता. बाप बड़ा न भैया यहाँ सबसे बड़ा राजनीतिक रुतबा है भैया. कुछ यही हुआ है बिहार में, जहाँ एक पिता को उसके बेटे ने ही चुनाव में ढेर कर दिया. ढेर कर दिया, नहीं-नहीं वैसा ढेर नहीं जो आप समझना चाह रहे हैं. यहाँ एक पिता को अपने बेटे से ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.
बिहार में गोपालगंज जिले के बरौली प्रखंड में माधौपुर पंचायत में मुखिया पद पर काबिज पिता को उसके बेटे ने चुनावी मात दी है. यहाँ विजय प्रसाद का मुकाबला उनके बेटे संतोष कुमार से था. संतोष का कहना है कि उसके पिता पिछले कई सालों से मुखिया जरुर हैं लेकिन अपने बड़े बेटे यानी संतोष के बड़े भाई की बातों में आकर वे अब पंचायत का विकास कार्य ठीक से नहीं कर रहे थे. इसी से आहत संतोष ने पिता को सबक सिखाने की सोची और मुखिया चुनाव में ताल ठोंक दिया.
संतोष का दांव भी चल गया. उन्होंने पिता को भारी मतों के अंतर से मात देकर अब पिता की मुखिया की कुर्सी पर कब्जा कर लिया है. चुनाव के दौरान ही यह साफ हो गया था कि पिता पुत्रों के बीच ही मुख्य मुकाबला है तो दोनों की जीत हार को लेकर भी पंचायत के मतदाताओं में खूब दिलचस्पी मची थी. परिणाम वाले दिन संतोष के पक्ष में फैसला आया. बेटे ने दो बार के मुखिया पिता को हरा दिया.
चुनाव में संतोष को 1981 तो उनके पिता को मात्र 900 वोट मिले. एक झटके में बेटे ने बाप को एक हजार से ज्यादा मतों के अंतर से मात दे दी. अब संतोष ने कहा कि विकास का जो कार्य उनके पिता ने अवरुद्ध कर रखा था उसे वे प्राथमिकता के हिसाब से पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरा मुख्य उद्देश्य पंचायत की जनता का तन, मन और धन से सेवा करना है.