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सुशासन में दुःशासन के दंश से कांप रहा है बिहार,सिस्टम या सरकार कौन है जिम्मेदार बता तो दीजिये हुजूर, HAM

सुशासन में दुःशासन के दंश से कांप रहा है बिहार,सिस्टम या सरकार कौन है जिम्मेदार बता तो दीजिये हुजूर, HAM

Patna : कोरोना काल मे भी बिहार में अपराधियों का मनोबल चरम पर है। हत्या से लेकर डकैती तक की घटनाओं को चुटकी बजाकर बड़े ही आराम से अंजाम देकर गुंडे फरार हो जा रहे हैं , पुलिस हाथ मलते रह जा रही है। HAM प्रवक्ता धीरेन्द्र कुमार मुन्ना कहते हैं कि कानून सत्ता के इकबाल से चलता है लेकिन जिस तरीके से बिहार के विभिन्न इलाकों अपराधियों के द्वारा तांडव मचाया जा रहा है वह साबित करने के लिये पर्याप्त है कि सुशासन के सिस्टम को संवेदनहीनता का लकवा मार चुका है। 

जंगलराज के नाम पर सत्ता में आयी सरकार के विधायक के द्वारा घटना को अंजाम दिया जाना दुर्भग्यपूर्ण

धीरेन्द्र कुमार मुन्ना ने बताया कि एक कहावत है "सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का" गोपालगंज की घटना इसी कहावत को चरितार्थ कर रही है। बाहुबली विधायक पप्पू पांडे और उनके बड़े भाई सतीश पांडे की आतंक की कहानी से गोपालगंज की जनता बखूबी परिचित है। जिस तरीके से एक ही परिवार के 3 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया वह साबित करता है कि सुशासन को संवेदनहीनता का लकवा मार गया है। 


हम प्रवक्ता मुन्ना ने बताया कि बड़ा सवाल यह उठता है कि जंगलराज को हटाने के नाम पर सत्ता में आई सरकार को आखिर पप्पू पांडे सरीखे विधायकों की दरकार ही क्यों पड़ रही है । यह समझ में नहीं आता की अपने दामन पर दर्जनों मुकदमों का दाग लिये विधायकों की फौज सुशासन की सोच को कैसे साकार कर पाएगी। लेकिन विडम्बना देखिये की सुसाशन को भी लगता है की दाग पसंद है। धीरेन्द्र कुमार मुन्ना यह भी आरोप लगाते हैं कि हत्यारोपी विधायक मजे से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहा है लेकिन सुसाशन की पुलिस उसे पकड़ने में परहेज कर रही है पता नहीं यह सुसाशन कि यह कौन सी मजबूरी है। तभी तो सुशासन में दुशासन के दंश से बिहार कांप रहा है । कहीं हत्या कहीं बलात्कार कहीं डकैती तो कहीं नरसंहार।

लेकिन बड़ा सवाल है कि सरकार क्यों इन मामलों को नियंत्रित नहीं कर पा रही। मुन्ना का मानना है कि सुशासन के सिस्टम के अंदर सामाजिक न्याय के साथ विकास वाली संवेदना की धारा सूख चुकी है। इसी का परिणाम है की सिंदुआरी से लेकर गोपालगंज तक लोग मारे जा रहे हैं । सिस्टम की निष्क्रियता अपराधियों के मनोबल को बढ़ावा देने में लगा है। किसी भी नेतृत्व को याद रखना चाहिए कि एक निरंकुश सत्ता जंगलराज से भी ज्यादा खतरनाक होता है।

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