PATNA : कांग्रेस पार्टी ही नहीं बिहार के कद्दावर नेता सदानंद सिंह का आज निधन हो गया. वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. लम्बी बीमारी के बाद आज उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कई दलों के नेताओं ने अपनी संवेदना व्यक्त की है. उनके निधन के बाद सियासी गलियारे में शोक की लहर दौड़ गयी है. राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार की घोषणा की गयी है. इस बीच कांग्रेस पार्टी के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में उनके सम्मान में झंडा झुका दिया गया है.
सदानंद सिंह ने एक नेता के तौर पर कई कीर्तिमान स्थापित किये थे. वे कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, विधानसभा के अध्यक्ष और बिहार सरकार के मंत्री रह चुके हैं. सदानंद सिंह मृदुभाषी और सर्व सुलभ छवि के नेता थे. जिसकी वजह से वे लोगों के बीच काफी लोकप्रिय थे. सबसे बड़ी बात यह की सदानंद सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी अपना क्षेत्र नहीं बदला. भागलपुर के कहलगांव से उन्होंने 12 बार चुनाव लड़ा. जिसमें 9 बार उन्हें जीत मिली थी. वे 1969 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर कहलगांव विधानसभा से चुनाव जीतें. 1985 में कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर एक बार निर्दलीय भी जीते.
हालांकि उनकी जीत लगातार नहीं रही. 1990, 1995 और अक्टूबर 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी हार हो गई थी, जबकि फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में वोजीत गए थे. इसके अलावा वो 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे थे. बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का जिम्मा भी उन्होंने संभाला था. 2010 से 2020 तक वो बिहार में कांग्रेस विधायक दल के नेता थे. इसके अलावा सदानंद सिंह बिहार सरकार में सिंचाई एवं ऊर्जा राज्यमंत्री रह चुके थे. सदानंद सिंह 2020 विधानसभा चुनाव नहीं लड़े. कहलगांव सीट से कांग्रेस ने उनके पुत्र शुभानंद मुकेश को टिकट दिया गया था. लेकिन बीजेपी के पवन यादव ने शुभानंद मुकेश को हरा कर पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की.