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मुज्जफरपुर मोतियाबिंद कांड' नवंबर में 16 ने गंवाई थी आंख, लेकिन अब तक हाईकोर्ट में नहीं जमा हुई रिपोर्ट, फिर मिली 15 दिन की मोहलत

मुज्जफरपुर मोतियाबिंद कांड' नवंबर में 16 ने गंवाई थी आंख, लेकिन अब तक हाईकोर्ट में नहीं जमा हुई रिपोर्ट, फिर मिली 15 दिन की मोहलत

पटना. पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई व्यक्तियों के आंख की रौशनी खो जाने के मामले पर सुनवाई करते हुए मुजफ्फरपुर के एसएसपी को रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने मुकेश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। साथ ही कोर्ट ने इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पीएमसीएच या एम्स, पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें। इनमें आँख रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो। इसमें कोर्ट को बताया गया कि आँखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं। साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया है। हालाँकि अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई ।

इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन व राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें खोनी पड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था। 

याचिका में यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी ऑंखें गंवानी पड़ी। मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन व जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया था। पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 जून, 2022 को की जाएगी।


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