आर्थोपेडिक की दुनिया में सबसे अच्छी रोबोटिक तकनीक से इलाज पटना में, AIOR में मरीजों को मिल रही नई जिंदगी

आर्थोपेडिक की दुनिया में सबसे अच्छी रोबोटिक तकनीक से इलाज पटना में, AIOR में मरीजों को मिल रही नई जिंदगी

PATNA :  धरती पर डॉक्टर को दूसरा भगवान का दर्जा दिया गया है क्यों कि कई जटिल रोगों की वज़ह से लोगों  का जीवन जीना मुश्किल हो जाता है और डॉक्टर ही है, जो उन लोगों का ईलाज कर नया जीवन देने का काम करते हैं।  ऐसे ही हड्डी रोग से जुड़े असाध्य रोगों का रोबोटिक तकनीक से इलाज पटना में अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ orthopedics and Rehebilitation (AIOR ) अस्पताल मे  हुआ है और मरीज़ को नया जीवन मिला है।

अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ orthopedics  and Rehebilitation (AIOR), पटना के डायरेक्टर डॉ आशीष सिंह ने बताया कि हमारे अस्पताल में दो लोगों को काफी जटिल बीमारी का इलाज कर मात्र 4 से 5 दिनों में अपने पैरों पर  चलने योग्य कर दिया गया है।

पहला आसाम राज्य के गुवाहाटी से आये जफर हसन पिता शमसुल हक्क उम्र  25 वर्ष का गिरने से पैर टूट गया था जब वो हमारे यहां इलाज के लिए आये तो जांच में पता चला कि उनके घुटने में ट्यूमर भी है जिसके कारण यह एक क्रिटिकल केस बन गया. हमारी टीम ने रोबोटिक तकनीक से उनकी जांघों की हड्डी को आधा काटकर हटाया और उनका पूरा घुटने को भी बदल दिया. जिसे मेडिकल साइंस की भाषा मे डिजिटल फिमर रिप्लेसमेंट कहा जाता है. अब मरीज़ अपने पैरों से चलने में पूर्ण रूप से सक्षम हो गये है.

दूसरा मरीज़ बिहार के पूर्णिया जिले के धमदाहा से आये विपिन कुमार दुबे उम्र  50 वर्ष जो कि विगत 5- 6 साल से अपना दाहिना पैर कुल्हा से ही मोड़ नहीं पाते थे और अपना सारा दैनिक कार्यों को पैर को सीधा रखकर ही करते थे, इसी बीच गिरने से उनका दूसरा कुल्हा भी टूट गया और वे कम्प्लीट बेड पर रहने लगे. हमारे अस्पताल में हमारी टीम द्वारा रोबोटिक तकनीक से उनके दोनों  हिप ( कुल्हा ) का एक साथ ऑपरेशन किया गया जिसे मेडिकल साइंस मे पूर्ण कुल्हा प्रत्यारोपण ( Total Hip Replacement ) कहते है। जो कि एक जटिल ऑपरेशन था जिसको हमारी  टीम  ने सफलतापूर्वक किया और अब मरीज़ अपने पैरों से चलना भी शुरू कर दिया  है.  

AIOR के डायरेक्टर डॉ आशीष सिंह  ने बताया कि पूरे बिहार ही नहीं बल्कि पूर्वी भारत के क्षेत्र मे रोबोटिक तकनीक से  इलाज का यह एकमात्र अस्पताल है  जहां हड्डी रोग से जुड़े हर बीमारी का इलाज रोबोटिक तकनीक से किया जाता है, और असाध्य रोगों ( प्रत्यारोपण =Replacement ) के  ईलाज के लिए एक विशेष केयर यूनिट बनाया गया है जिसमें स्पाइन, हिप, घुटने एवं स्पोर्ट्स इंजरी का ईलाज किया जाता है। अभी तक रोबोटिक तकनीक से 500 से अधिक सफल ऑपरेशन कर चुके है>

बांग्लादेश से आते हैं मरीज इलाज कराने

उन्होंने  बताया कि हमारे यहां पूरे बिहार ही नहीं बल्कि झारखंड,  बंगाल,  आसाम एवं बांग्लादेश से मरीज़ अपना fलाज करवाने आते है  और हमारे यहां आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज की सुविधा भी उपलब्ध हैं।विशेष जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.aior.in पर विजिट कर सकते है l

Find Us on Facebook

Trending News