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राजीव नगर जमीन के अवैध कब्जे मामले में पटना हाईकोर्ट में थोड़ी देर में होगी सुनवाई, लोगों को राहत की उम्मीद

राजीव नगर जमीन के अवैध कब्जे मामले में पटना हाईकोर्ट में थोड़ी देर में होगी सुनवाई, लोगों को राहत की उम्मीद

PATNA : बिहार के राजधानी पटना में काफी दिनों से चल रहे नेपाली नगर और राजीव नगर में 'बुलडोजर' चलेगा या नहीं इस मामले पर आज पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में थोड़ी देर सुनवाई शुरू होगी. कोर्ट की सुनवाई पर न सिर्फ जिला प्रशासन की नजर लगी है, बल्कि उन सैकड़ों घरों के निर्माण करनेवाले लोग भी टकटकी लगाकर देख रहे हैं। यहां अवैध कब्जे को लेकर कोर्ट क्या फैसला करेगा। इस पर काफी कुछ निर्भर होना है।

दरअसल रविवार को प्रशासन ने 12 बुलडोजरों की मदद से 90 मकानों को ढहा दिया था. इसलिए स्‍थानीय प्रशासन के इस कदम के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सोमवार को पटना हाई कोर्ट ने गजेंद्र कुमार की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दो दिन के लिए विध्वंस पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने बुधवार के अपने सुनवाई में पटना के जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह को भी पेश होने का निर्देश दिया है. अब आज इस सुनवाई में क्या निकलकर सामने आता है यह देखना होगा. वहां के लोगों के लिए राहत मिलती है या फिर बुलडोजर चलेगा इस बात की पुष्टि कोर्ट के फैसले के बाद ही की जा सकेगी. लेकिन आफत और टूटे बिखरे आशियानों के गम के बीच हाईकोर्ट से राहत की छत लोगों को मिलने की आस है.

कार्रवाई के दौरान हुआ था जबरदस्त हंगामा 

राजीव नगर में रविवार को 22 बुलडोजर 40 मजिस्ट्रेट और 50 पुलिस अफसरों के साथ हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध और जबरदस्त हंगामा किया था. हंगामा में 3 पुलिसकर्मी और तीन स्थानीय लोग घायल हो गए थे. हंगामे के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 300 अज्ञात लोगों पर केस भी दर्ज किया गया. प्रशासन ने 90 अवैध ढांचों को गिरा दिया. सोमवार को भी कार्रवाई जारी थी, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इसपर दो दिनों के लिए रोक लगा दी थी. यहां लगभग 20 एकड़ भूमि को अधिग्रहित कर पटना उच्च न्यायालय के जजों के लिए आवास बनाया जाना है. सदर अंचलाधिकारी की ओर से 70 लोगों को नोटिस भेजा गया है. यह इलाका राजीव नगर थाने और कर्पूरी भवन के पीछे वाला इलाका है. जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह के अनुसार  ''राजीव नगर और नेपाली नगर को भूमाफियाओं ने अवैध रूप से विकसित किया था. जबकि इन मोहल्लों की जमीनों की रजिस्ट्रियों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी, फिर भी कई लोगों ने अन्य जगहों से रजिस्ट्री करवा ली या जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी ले लिया. जमीनें बिहार राज्य आवास बोर्ड की हैं और स्थानीय भू माफियाओं ने अवैध रूप से सरकारी जमीन को निर्दोष लोगों को बेचा है.’’

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