NEWS4NATION DESK : लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीए ने बिहार में सवर्णों की अनदेखी की थी। बिहार के 40 लोकसभा सीटो में अगड़ी जाति की तुलना पिछड़ी जातियों को ज्यादा टिकट दिये गये थे। इसे लेकर बिहार के सवर्ण समाज में काफी रोष देखने को मिला था। बीजेपी के कई नेताओं ने इसका विरोध भी किया था। लेकिन नये कैबिनेट में सवर्णो को तव्वजो देकर बीजेपी ने उनके आक्रोश पर मरहम लगा दिया है।
मोदी के नये कैबिनेट में बिहार के सवर्णों को अधिक जगह दी गई है। बिहार से 6 मंत्री बने है जिनमें 4 सवर्ण समाज है। उसमें भी चारों सवर्ण जातियों को एकसमान प्राथमिकता दी गई है। चारो जातियों से एक-एक सांसद को मंत्री बनाया गया है। अति पिछड़ी जाति का प्रतिनिधित्व न तो पिछली सरकार में था और न ही इस बार मिला है। मंत्रिपरिषद में राज्य का प्रतिनिधित्व घटने के कारण सवर्ण और पिछड़ी जाति के कोटे में भी एक-एक मंत्री की कमी हुई है। .
राज्य से मंत्रिपरिषद में शामिल छह नेताओं में चार सवर्ण समुदाय के हैं। एक दलित और एक पिछड़ी जाति के सांसद को जगह मिली है। पिछली सरकार के जिन एक मंत्री गिरराज सिंह को प्रोन्नति मिली है वह भी सवर्ण समाज के ही हैं।
पिछली सरकार में राज्य के आठ सांसद शामिल हुए थे। लिहाजा सवर्ण मंत्रियों की संख्या भी एक अधिक यानी पांच थी। राधामेहन सिंह और आरके सिंह राजपूत जाति से थे। इस बार आरके सिंह ने फिर जगह पा ली है, पर राधामोहन सिंह का पत्ता साफ होने से राजपूत जाति की संख्या एक कम हो गई। सवर्ण समाज में भूमिहार जाति का प्रतिनिधित्व पिछली सरकार में भी गिरिराज सिंह के भी पास ही था, इस बार भी वही एक मात्र मंत्री हैं। कायस्थ के भी रविशंकर प्रसाद व ब्राह्मण समाज से अश्विनी चौबे को दोबारा मंत्री बनाया गया है।
वहीं बिहार के दलित समाज से इकलौता प्रतिनिधित्व रामविलास पासवान को ही मिला है।