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लोक शिकायत सेवा में बिहार देश में नम्बर एक, दूसरे राज्य भी अपना रहे इस मॉडल को

लोक शिकायत सेवा में बिहार देश में नम्बर एक, दूसरे राज्य भी अपना रहे इस मॉडल को

PATNA : बिहार में लोकशिकायत अधिकार अधिनियम के दो साल पूरे हो गये। इस मौके  पर मंगलवार को अधिवेशन भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश में सबसे पहले हमने लोकसेवा अधिनियम बनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक रूप से विकसित माने जाने वाले कर्नाटक सहित कई अन्य राज्य के अधिकारी इस काम को देखने बिहार आये थे। इस अवसर पर सीएम ने जन समाधान रथ को रवाना किया । कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री  सुशील मोदी ने कहा कि यह अधिनियम बिहार के लिए एक क्रांति है। इसके लिए मुख्यमंत्री बधाई के पात्र हैं। आज दूसरे राज्य इस अधिनियम को अपना रहे हैं।

2018 तक 3 लाख 28 हजार आवेदन आये जिसमें से 2 लाख 89 हजार आवेदनों का निष्पादन कर दिया गया। लोक शिकायत सेवा देने के मामले में शिवहर जिला पहले नम्बर पर रहा। राज्य में कुल 140 लोकशिकायत केन्द्र हैं जिनमें 165 अधिकारी योगदान दे रहे हैं।

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इस अधिनियम में राज्य के 44 विभागों से जुड़ी 475 सेवाएं शामिल की गयीं की हैं। इनमें राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, ज़मीन-जायदाद के दस्तावेज़ ,आवास, जाति, चरित्र और आय प्रमाण पत्र दिए जाने जैसी सेवाएं प्रमुख हैं।  यदि तय अवधि में आवेदकों को लोक सेवाए उपलब्ध नहीं करायी जाती हैं तो संबंधित सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को दंडित किये जाने का प्रवाधान है।

नीतीश कुमार ने कहा कि जनता दरबार में भी आये शिकायत का अफसर निवारण नहीं करते थे। महज 40 फीसदी आवेदनों का ही निष्पादन किया जाता था । जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम मे आने वाले आवेदनों के निष्पादन की गति काफी धीमी थी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक शिकायत निवारण सेवा में लगे अधिकारियों की बहुत डिमांड थी। मंत्री तक इनकी पैरवी करने लगे थे। कोई मंत्री इन्हें अपना निजी सहायक बनाना चाहता था, तो कोई अपने क्षेत्र में एसडीओ बनवाना चाहता था। लेकिन मैंने कह दिया था कि इस काम में लगे अधिकारियों का दो साल तक ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। अब दो साल हो गये हैं। इस सेवा में लगे अफसरों को च्वाइश पोस्टिंग दी जाएगी।

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