KHAGADIA : बिहार में क्राइम का ग्राफ कैसा है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है, लेकिन हम यहां एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां हत्याओं की घटनाएं सामान्य है। कोई ऐसा साल नहीं जाता, जब इस गांव में दो से कम हत्याएं न होती हों। अब तो आलम यह है कि इस गांव में लोग अपनी बेटियों की शादी तक करना नहीं चाहते हैं।
अपराधिक इतिहास के लिए यह चर्चित गांव है खगड़िया जिले के मुफसिल थाना क्षेत्र का कोठिया पंचायत। अभी दो दिन पहले भतीजे द्वारा चाचा की हत्या की घटना हुई थी। लेकिन यह इस गांव में हत्या की पहली घटना नहीं है। कोठिया गांव साल दर साल हत्या व आपराधिक घटनाओं से हमेशा सुर्खियां बटोरता रहा है।
खगड़िया के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के कोठिया गांव का इतिहास हत्या और आपराधिक वारदातों से पटा पड़ा है। अभी दो दिन पहले भतीजे द्वारा चाचा की हत्या की घटना को अगर छोड़ भी दिया जाए, तो भी कोठिया गांव साल दर साल हत्या व आपराधिक घटनाओं से हमेशा सुर्खियां बटोरता रहा है।
तीन हिस्सों में बंटा है गांव
कोठिया गांव तीन हिस्से में बंटा है। बड़ी कोठिया, छोटी कोठिया और रामटोला। इनमें सबसे अधिक हत्या की वारदातें बड़ी कोठिया गांव में हुई है। लोगों का कहना है कि गांव में कोई ऐसा परिवार नहीं है, जिनके घर में किसी की हत्या नहीं हुई होगी। लोगों ने बताया कि करीब दो दशक पहले लोगों को दिनदहाड़े भी कोठिया गांव से होकर गुजरने में सिहरन होती थी। आज इतने सालों बाद भी स्थिति में बदलाव नहीं आया है। बीते 15 सालों में यहां के हर घर के लोग हत्या की वजह से अपनों की अर्थी उठा चुके हैं।
गांव में डर के कारण गांव में लोग नहीं देना चाहते हैं अपनी बेटी
अब इस गांव में लोग अपनी बेटियों को ब्याहना नहीं चाहते हैं। लगातार होती आपराधिक घटनाओं के कारण इस गांव से न कोई रिश्ता रखना चाहता है, न ही यहां अपनी बेटी को भेजना चाहता है। स्थिति यह है कि गांव के युवाओं की शादी नहीं हो पा रही है। बताया गया कि गांव में कोई ऐसा घर नहीं होगा, जहां अधिक उम्र के कुंवारे लड़के मौजूद नहीं हो। यह स्थिति कब बदलेगी, यह कहा नहीं जा सकता है।