DESK : डिजीटल तकनीक के कारण सात समुंदर पार रहकर किसी की जान बचाई जा सकती है। फेसबुक मेटा हेडक्वार्टर ने इस सही साबित कर दिखाया है। पिछले कुछ दिनों में फेसबुक लाइव आकर कई लोगों ने अपनी जान दी है। लेकिन इस बार फेसबुक ने यूपी के प्रोफेसर की जान बचाई है। सिर्फ सात मिनट में यह पूरी घटना हुई।
पूरा मामला यूपी के मेरठ सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। जहां डिग्री कॉलेज में पढ़ाई वाले प्रोफेसर की पत्नी मायके चली गई थी। जिससे परेशान होकर प्रोफेसर ने पत्नी को दिखाने के लिए फेसबुक लाइव आकर ट्रेन के सामने पहुंच गया था। लेकिन इससे पहले कि कोई हादसा होता, अमेरिका के कैलिफोर्निया में फेसबुक की पेरेंट कंपनी मेटा हेडक्वार्टर में जैसे ही इसका वीडियो दिखाई दिया। टीम ने UP पुलिस मुख्यालय को अलर्ट भेजा।
अलर्ट मिलने के तुरंत बाद हरकत में आई पुलिस
GRP इंस्पेक्टर विनोद ने बताया- प्रोफेसर फेसबुक लाइव आकर सुसाइड करने जा रहा था। पुलिस हेड क्वार्टर लखनऊ से मेरठ पुलिस और GRP को सूचना मिली। अलर्ट मिलने के 7 मिनट के भीतर थाना सिविल लाइन पुलिस और थाना प्रभारी GRP लाइव लोकेशन ट्रेस कर प्रोफेसर के पास पहुंच गए। प्रोफेसर को सुसाइड करने से बचा लिया।
आसान नहीं था प्रोफेसर तक पहुंचना
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का प्रोफेसर तक पहुंचना आसान नहीं था। SO सदर बाजार शशांक द्विवेदी ने फेसबुक लाइव आए प्रोफेसर के बारे में जानकारी जुटाई। पता चला कि वह सिविल लाइन क्षेत्र में रहते हैं। उन्होंने सिविल लाइन थाना प्रभारी को फोन किया और प्रोफेसर के घरवालों को सूचना देने को कहा। साथ ही उनसे सिटी रेलवे स्टेशन टीम को भेजने को कहा।
थोड़ी देर में पुलिस स्टेशन पहुंच गई। GRP के जवान भी पहुंच गए। लेकिन, प्रोफेसर वहां नहीं मिले। पुलिस ने मोबाइल नंबर के आधार पर लाइव लोकेशन निकाली तो वह परतापुर की निकली। परतापुर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने प्रोफेसर को कॉल कर समझाया कि ऐसा न करें। थोड़ी देर तक प्रोफेसर को बातों में उलझाए रखा, इतने में पुलिस उनके पास पहुंच गई।
इस तरह मेटा ने किया पुलिस से संपर्क
सबसे पहले META के अधिकारी यूजर के अकाउंट को चेक कर यूजर का मोबाइल नंबर निकालते हैं।
यूजर का फोन नंबर न मिलने या स्विच ऑफ रहने पर उसका IP एड्रेस खंगाला जाता है।
IP एड्रेस से यूजर की लोकेशन को ट्रैक किया जाता है।
META टीम तुरंत पुलिस को फोन करती है फिर ई-मेल भेजती है।
मोबाइल नंबर मिलते ही उसे स्टेट सर्वर पर डाला जाता है।
व्यक्ति का नाम, पता और मोबाइल नंबर नजदीकी पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है।
कोशिश होती है कि 10-15 मिनट के अंदर सारा काम खत्म हो और पुलिस व्यक्ति तक पहुंच भी जाए।