PATNA : आयकर विभाग ने बिहार में बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है. इसके तहत बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर के पीछे मौजूद सात बीघा पांच कट्टा (4.34 एकड़) जमीन को पूरी तरह से जब्त कर लिया है. सोमवार को संबंधित जमीन पर आयकर विभाग ने नोटिस भी चिपका दिया और इस स्थान के आसपास के इलाके में इसे लेकर मुनादी भी करवाया. ताकि आसपास के लोगों को यह पता चल जाये कि यह जमीन अवैध है और इसे सरकार ने जब्त कर लिया है. इसकी खरीद-बिक्री की धोखाधड़ी में कोई व्यक्ति फंस नहीं पाये. इस जमीन की बिक्री नहीं हो सकती है. करीब तीन महीने पहले आयकर विभाग ने इस जमीन की औपबंधिक जब्ती करने से संबंधित आदेश जारी किया था. बेनामी संपत्ति एक्ट में निर्धारित प्रावधान के तहत यह प्रक्रिया अपनायी गयी थी.
महाबोधि मंदिर के पीछे स्थित इस बड़े से जमीन के प्लॉट का नंबर 4488 और खाता संख्या 808 है. इस जमीन का वर्तमान में बाजार मूल्य करीब 90 करोड़ रुपये है. जबकि सरकारी मूल्य करीब सवा 17 करोड़ रुपये है. यह जमीन मूल रूप से दलित समाज के लोगों की है, जिन्हें यहां बसने और जीविकोपार्जन के लिए यह जमीन सालों पहले दी गयी थी. इस जमीन को बेचने या लीज पर किसी दूसरे को देने का अधिकार दलित समाज के लोगों के पास नहीं था. परंतु सीलिंग की इस जमीन को 2014 में किट्टी नवानी नाम के एक तथाकथित विदेशी बौद्ध नागरिक ने दलितों को बहला-फुसला कर थाई-भारत सोसाइटी नामक एक ट्रस्ट के नाम से रजिस्ट्री करवा ली थी. उसने इस ट्रस्ट का स्वयं को महासचिव बताया था. साथ ही इस जमीन का गलत तरीके से गया नगर निगम से दाखिल-खारिज भी करवा लिया गया था.
जिस ट्रस्ट के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करवायी गयी थी, उसके किसी सदस्यों को इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी. इसी वजह से इससे जुड़े तमाम मामलों की तफ्तीश के बाद आयकर विभाग ने इसे बेनामी संपत्ति एक्ट के अंतर्गत जब्त किया है. किट्टी नवानी ने इस जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए अपने को बोधगया के मस्तीपुर गांव का निवासी बताते हुए संबंधित ट्रस्ट का फर्जी अध्यक्ष घोषित किया. हालांकि जांच में उसके थाई नागरिक होने से जुड़ा एक सर्टिफिकेट मिला है, जिसमें उसे पाकिस्तान में पैदा हुआ बैंकॉक मूल का व्यवसायी बताया गया है.
यह सर्टिफिकेट बैंकॉक सरकार की तरफ से 10 अगस्त 2007 को जारी किया गया है. इसके आधार पर उसके थाई नागरिक होने की बात स्पष्ट होती है. फिलहाल उसके बारे में किसी तरह की कोई खास जानकारी किसी जांच एजेंसी के पास नहीं है. जिस ट्रस्ट के नाम पर इस जमीन की रजिस्ट्री करायी गयी थी. उसके आयकर रिटर्न में इस जमीन का कोई उल्लेख ही नहीं था. जबकि रजिस्ट्री के दस्तावेज में ट्रस्ट का उल्लेख है. आयकर ने जब जमीन से जुड़े पूरे मामले की पड़ताल शुरू की, तो बेनामी संपत्ति से जुड़े इस पूरे मामले का खुलासा हुआ. इस मामले में जिला निबंधन विभाग और गया नगर निगम दोनों की स्थिति संदेहास्पद मालूम होती है. सीलिंग की जमीन होते हुए भी, इसकी रजिस्ट्री कैसे हो गयी.
पटना से विवेकानन्द की रिपोर्ट