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भारत-नेपाल सीमा खोलने की मांग, बॉर्डर सील होने से नहीं मिल पा रहे रिश्तेदार, व्यवसाय भी चौपट

भारत-नेपाल सीमा खोलने की मांग, बॉर्डर सील होने से नहीं मिल पा रहे रिश्तेदार, व्यवसाय भी चौपट

बगहा। वाल्मीकिनगर भारत नेपाल सीमा पर गंडक बराज से सटे नेपाली क्षेत्र में बॉर्डर खोलने को लेकर नेपाली ग्रामीणों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। मालूम हो कि सदियों से दोनों देश के साथ बेटी-रोटी का संबंध चला आ रहा है। कोरोना को लेकर दोनों देशों से आवागमन बंद कर सीमा सील कर दी गई थी। अब 10 माह का समय बीत गया है। लेकिन बॉर्डर नहीं खुलने से आसपास के लोगों का जनजीवन व रिश्ता भी प्रभावित होने लगा है।

वाल्मीकिनगर से सटे नेपाल क्षेत्र के 36 नंबर फाटक के समीप नेपाल में दर्जनों लोगों ने भारत-नेपाल की खुली सीमा को कोरोना संकट के बाद से बंद सीमा को खोलने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया। सीमा खोलने की मांग को लेकर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने कहा कि सदियों से भारत-नेपाल के साथ बेटी-रोटी का संबंध रहा है। वर्तमान समय में दोनों देशों की सीमा सील होने से दोनों ओर से रिश्ते में कड़वाहट हो गयी है। लोग अपने रिश्तेदारों से मिल जुल नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण कई बेटियों के शादी-विवाह रुक गया है। साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में बहुत ऐसे भी गरीब मजदूर है, जो दैनिक मजदूरी खेती-बाड़ी के काम के लिए प्रत्येक दिन दोनों ओर आना-जाना होता था। जिस पर रोक लग गई है। इससे आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही हैं। 

सियासी मतभेद और बीमारी को न बनाएं वजह

लोगों का कहना है नेपाल सरकार को चाहिए कि दोनों ओर से आपसी बातचीत कर सीमा को खोलने का प्रयास करें। नेपाल भारत के बीच सदियों से चली आ रही मैत्री सम्बन्ध को इस तरह कोरोना महामारी का बहाना बनाकर अवरुद्ध करना ठीक नही। हिन्दुस्तान के साथ न केवल बेटी-रोटी बल्कि सांस्कृतिक , धार्मिक व व्यापारिक संबंध भी है। इतने लंबे समय तक सीमा सील रखने से इसका नुकसान दोनो ओर के लोगों को हो रहा है। उन्होंने कहा कि नेपाल में पर्यटन, स्वास्थ्य, शिक्षा, यातायात, होटल व्यवसाय क्षेत्र को काफी नुकसान हो रहा है। इस बाबत नेपाली नागरिकों ने अपने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर बैरियर खोलने की मांग की है।


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