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बार-बार गर्भपात वाले दम्पतियों के लिए पीजीएस है कारगर तकनीक, इन्दिरा आईवीएफ की मेडिकल संगोष्ठी में हुई विस्तृत चर्चा

बार-बार गर्भपात वाले दम्पतियों के लिए पीजीएस है कारगर तकनीक, इन्दिरा आईवीएफ की मेडिकल संगोष्ठी में हुई विस्तृत चर्चा

PATNA :बार-बार गर्भपात की समस्या से देश में 2 से 5 प्रतिशत दम्पती जूझ रहे हैं पर आधुनिक तकनीकों जैसे पीजीएस  उनकी इन समस्याओं को हल करने में मील का पत्थर साबित हो रही है। इस तकनीक के माध्यम से भ्रूण प्रत्यारोपण से पहले भ्रूण में कोई कमी या आनुवांशिक दोष का पता लगाकर प्रक्रिया का निर्धारण किया जा सकता है एवं दम्पती स्वस्थ संतान की कल्पना कर सकते हैं। इस तकनीक पर पटना शहर के चिकित्सकों की संगोष्ठी इन्दिरा आईवीएफ पटना के सहयोग से आयोजित की गयी जिसमें 150 से अधिक चिकित्सकों ने भाग लिया। इसके साथ ही एक नया जीवन-एक नया पेड़ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसके मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी थे।

संगोष्ठी में इन्दिरा आईवीएफ की डॉ. अनुजा सिंह ने रिकरेन्ट इम्पलांटेशन फेल्यौर (आरआईएफ) एवं रिकरेन्ट प्रेगेन्सी लोस (आरपीएल) पर अपने विचार रखे। डॉ. चेत्रा परूलेकर ने आरपीएल में जैनेटिक्स में आ रही चुनौतियों एवं भविष्य क्या हो सकता है इस पर प्रकाश डाला। 

संगोष्ठी में मुम्बई से आए डॉ. गुरूप्रसाद कलथुर ने आईवीएफ में भ्रूण परखने की तकनीक पीजीएस पर विडियो प्रजेन्टेशन दिया, यह तकनीक भ्रूण में जैनेटिक विकार की जांच के लिए काम आती है। आरआईएफ और आरपीएल के प्रबंधन एवं निराकरण में क्या नया हो रहा है एवं अल्ट्रासाउण्ड द्वारा इन दोनों के बारे में कैसे पता लगा सकते हैं इस पर इन्दिरा आईवीएफ उदयपुर के डॉ. विपिन चन्द्रा ने विस्तृत चर्चा की।  मुम्बई के डॉ. मोहन रोत ने गर्भपात के मामलों में प्रतिरक्षा चिकित्सा पर प्रकाश डाला।

मेडिकल संगोष्ठी के मुख्य अतिथि इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप चेयरमैन डॉ. अजय मुर्डिया ने कहा कि देश में करीब 15 फीसदी दम्पती निःसंतानता से प्रभावित हैं, उपचार सुविधा आईवीएफ के रूप में उपलब्ध है लेकिन इसका लाभ मात्र 1 प्रतिशत दम्पती ही ले पाते हैं। निःसंतानता एवं आईवीएफ ईलाज लोगों तक पहुंचाने एवं रियायती दरों पर मुहैया करवाने के लिए जिम्मेदार विभागों को आगे आना चाहिए एवं इंशोरेंस सेक्टर को भी आईवीएफ उपचार को शामिल करना चाहिए। आईवीएफ की सफलता दर बहुत कुछ भ्रूण वैज्ञानिक एवं उन्नत लैब पर भी निर्भर करती है ये बातें इन्दिरा आईवीएफ पटना सेंटर के चीफ एम्ब्रियोलॉजिस्ट डॉ. दयानिधी शर्मा ने संगोष्ठी के दौरान कही। साथ ही उन्होंने बताया कि संगोष्ठी की थीम एक नया जीवन-एक नया पेड़ पर रखी गयी।

 मुख्य अतिथि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण काफी हद तक बढ़ गया है और इसे नियन्त्रित करने के लिए लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि योजना एवं विकास विभाग मंत्री महेश्वर हजारी, पाटलीपुत्र सांसद राम कृपाल यादव, प्रिंसिपल सेक्रेटरी पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन दीपक कुमार सिंह थे। इस दौरान इन्दिरा आईवीएफ पटना से लाभान्वित दम्पतियों को एक-एक पौधा भेंट दिया गया एवं यहां मौजूद सभी लोगों ने संकल्प लिया कि परिवार में किसी भी संतान के जन्म पर वे एक पौधा लगाएंगे और उसे सींच कर बड़ा करेंगे व आजीवन इस पौधे की संतान की तरह देखरेख करेंगे।  

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