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स्वास्थ्य विभाग की पहल : बिहार में कुपोषित और कमजोर बच्चों की पहचान घर-घर जाकर होगी

स्वास्थ्य विभाग की  पहल : बिहार में कुपोषित और कमजोर बच्चों की पहचान घर-घर जाकर होगी

डेस्क… बिहार में कुपोषित व कमजोर बच्चों की घर घर जाकर पहचान की जाएगी। समाज कल्याण विभाग के तहत संचालित समेकित बाल विकास परियोजना निदेशालय ने करुणा काल के दौरान कुपोषित हुए बच्चों को चिन्हित करने और उन्हें पौष्टिक आहार व इलाज मुहैया कराने को लेकर अभियान चलाने का निर्णय लिया है।

इसके तहत कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को पोषण प्रबंधन से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग एवं समाज कल्याण विभाग को रोना कल को ध्यान में रखते हुए कुपोषित बच्चों की पहचान व पोषण प्रबंधन पर विशेष ध्यान दे रहा है या अभियान जनवरी 2021 में पूरे माह संचालित किया जाएगा। 

जिला स्तर पर मिलेगा प्रशिक्षण

बच्चों की तलाश के लिए जिला स्तर से सीडीपीओ को प्रशिक्षण दिया गया है। इन के माध्यम से आंगनवाड़ी सुपरवाइजर प्रशिक्षित होंगी और उनके दिशा निर्देश के अनुसार ऐसे बच्चों की सूची तैयार करेंगीं। वहीं, स्वास्थ विभाग के तहत तैनात आशा एवं एएनएम को भी 2 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया है। 

इनके पास बच्चों के बारे में अभिभावकों से पूछे जाने वाले सवालों की सूची भी होगी सभी अलग-अलग पंचायतों के सभी घरों में जाएंगे और बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेंगी। राज्य में करीब 1 लाख 4 हजार आंगनवाड़ी सेविका, 80 हजार आशा कार्यकर्ता और 15 हजार एएनएम हैं। 

पौष्टिक भोजन की कमी से कुपोषण राज्य में कोरोनाकाल में बच्चों को अनाज तो मिला, लेकिन पौष्टिक भोजन में कमी होने के कारण कुपोषण के मामले में बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन के कारण बार-बार बीमार पड़ रहे बच्चों के देखभाल भी सही तरीके से नहीं हुई। इससे बच्चों का पोषण सही तरीके से नहीं हो पाया।

कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र लाया जाएगा। बच्चों की पहचान कर उन्हें नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र व फिर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र में किस दिनों के लिए लाया जाएगा। पोषण पुनर्वास केंद्र के डॉक्टर उनकी देखभाल करेंगे और वहां बच्चों के पोस्टिक आहार दिया जाएगा। वहां मौजूद डाइटिशियन उनके पोषण का ध्यान रखेंगी। वहां बच्चे के रोग का इलाज और उनके माता-पिता को पोषण से जुड़ी जानकारियां भी दी जाएंगी। 

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