RANCHI : झारखण्ड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि प्रदेश के गठबंधन सरकार के दलों ने मेनिफेस्टो में बड़े-बड़े वादे किए थे. इन वादों को अब वे तकनीकी रूप से पूरा करने में अपने आप को असक्षम महसूस कर रहे हैं. इसलिए सरकार ने बहाने बनाना भी शुरू कर दिया है. प्रतुल ने कहा कि मुख्यमंत्री लगातार यह कह रहे हैं की खज़ाना खाली है. जबकि यह बात सब लोग जानते हैं कि सबसे ज्यादा राजस्व वसूली दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीने में होती है. लेकिन इन महीनों का ज्यादातर उपयोग तो हेमंत सोरेन ने दिल्ली के कांग्रेस दरबार में हाजिरी लगाते हुए किया और राजस्व वसूली पर ध्यान ही नही दिया. अगर पहले दिन से ही मुख्यमंत्री ने राजस्व वसूली पर ध्यान दिया होता तो सरकार इस वर्ष भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करती.
प्रतुल ने कहा की ऐसा प्रतीत होता है की बिहार के चुनाव के लिए झारखंड के गठबंधन सरकार को कांग्रेस ने फंड कलेक्शन का टारगेट दे दिया है. तभी हाल के दिनों में हुए सारे टेंडर को रद्द कर दिया गया है.
उन्होंने कहा की झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने घोषणा पत्र में पारा शिक्षकों को नियमित करने के लिए सीमित लिखित परीक्षा लेने की बात कभी नहीं कही थी. इसका मतलब है कि सरकार अपने वादे से पलट गई है. सरकार को बताना चाहिए की परीक्षा में जो लोग पास नहीं कर पाएंगे क्या वे नियमित नहीं होंगे? इसी तरह कांग्रेस और झामुमो ने पहले ही कैबिनेट में किसानों के ऋण माफी की घोषणा करने का निर्णय लेने का वादा किया था. सरकार बनने के 1 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद भी अब तक इस मुद्दे पर कोई निर्णय नही हुआ है.
भाजपा सरकार को सकारात्मक मुद्दों पर साथ देने को आज भी तैयार है. लेकिन जिस सरकार की बुनियाद आदिवासियों के नरसंहार, सांप्रदायिक दंगों और मंत्रियों के परिजनों और समर्थकों के द्वारा किए जा रहे गुंडागर्दी पर रखी गयी हो, उससे सकारात्मक कदमों की अपेक्षा नहीं की जा सकती है.
रांची से कुंदन की रिपोर्ट