PATNA : खुद के खिलाफ हो रही कार्रवाई से बचने के लिए बिहार के डीजीपी को पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर दोस्त से फर्जी कॉल करानेवाले आईपीएस अधिकार आदित्य कुमार अब बुरी तरह से फंस गए हैं। शुक्रवार को उनके खिलाफ सिविल कोर्ट की एक विशेष अदालत ने गिरफ्तारी का गैर जमानती वारंट जारी किया है।
आर्थिक अपराध की विशेष अदालत के न्यायाधीश आदि देव की अदालत के समक्ष एक आवेदन दाखिल कर पुलिस ने मामले में फरार चल रहे अभियुक्त आदित्य कुमार के खिलाफ गिरफ्तारी का गैर जमानतीय वारंट जारी किए जाने का अनुरोध किया था।
आईपीएस की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम गठित
आईपीएस आदित्य की गिरफ्तारी के लिए ईओयू ने विशेष टीम गठित की है। यह टीम बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी ऑपरेशन करेगी। एडीजी (मुख्यालय) जीतेन्द्र सिंह गंगवार ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसआइटी गिरफ्तारी के लिए पूरे देश में छापेमारी कर सकती है. इसके लिए उसे सभी प्रकार के संसाधनों से लैस किया गया है।
15 अक्टूबर से फरार है आदित्य
आदित्य 15 अक्टूबर से फरार हैं. वह सस्पेंड भी कर दिये गये हैं. इओयू ने फरार आइपीएस की धरपकड़ के साथ उन पुलिस पदाधिकारी- कर्मियों की भी तलाश कर रही है जो उसे फरार कराने में मददगार रहे हैं। इओयू को आशंका है कि पुलिस के किसी अधिकारी ने ही आदित्य को केस दर्ज होने सूचना दी थी। आदित्य के सरकारी सुरक्षाकर्मी से भी पूछताछ की बात सामने आ रही है। पूरे तामझाम और रौब से रहने वाले आदित्य ने सरकारी गनर को साथ नहीं तो गनर ने इसकी सूचना किसे दी थी, यह भी जांच का हिस्सा है।
पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने पहचान छिपाते हुए बताया कि फरार आइपीएस का सरकारी गनर और आवास पर तैनात पुलिस विभाग के कर्मचारियों ने यदि समय से सूचना दी थी तो वह इओयू को तत्काल क्यों नहीं दी गयी? गनर को छोड़कर जाने की सूचना इओयू को समय से दी जाती तो आदित्य फरार ही नहीं हो पाता