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इस अस्पताल में हेलमेट पहनना अनिवार्य, प्रबंधन नहीं लेगा जान की जिम्मेदारी, नोट - कोरोना से इसका कोई संबंध नहीं है

इस अस्पताल में हेलमेट पहनना अनिवार्य, प्रबंधन नहीं लेगा जान की जिम्मेदारी, नोट - कोरोना से इसका कोई संबंध नहीं है

KAIMUR.  सड़क पर बाइक चलाने के दौरान हेलमेट पहनना अनिवार्य है, लेकिन कैमूर के दुर्गावती पीएचसी आने के बाद यह सोच बदल जाएगी, क्योंकि यहा काम करनेवाले कर्मी न सिर्फ सड़क पर, बल्कि अस्पताल में काम करने के दौरान भी हेलमेट पहने हुए रहते हैं। ऐसी किसी महामारी से बचने के लिए करते, बल्कि अस्पताल की जर्जर हो चुकी इमारत ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर दिया है।

एक तरफ राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने का लाख दावा कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है।  कैमूर जिले के दुर्गावती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के जर्जर भवन को देखने के बाद इस बात को समझा जा सकता है कि सरकारी दावे कागज में ही चल रहे है। जहां साधन-संसाधन के अभाव में बीमार पीएचसी को किसी तारणहार का इंतजार है। जर्जर भवन, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी, बेड का अभाव स्वास्थ्य महकमे को आइना दिखाने के लिए काफी है। लेकिन विभागीय पदाधिकारी से लेकर प्रशासन और सरकार ने भी इसका सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। भवन की जर्जरता का आलम यह है कि छत का प्लास्टर अक्सर टूट कर गिरता है। जिससे मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों की जान पर आफत बनी रहती है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। लेकिन इसकी मरम्मत और रंगाई-पुताई के लिए कदम नहीं उठाए गए। कब किसके शरीर के ऊपर छत का प्लास्टर टूट कर गिर जाए कहा नहीं जा सकता। इसी दहशत के साए में कर्मी हेलमेट लगाकर काम करने को मजबूर हैं।

पीएचसी में कार्यरत संजीवनी डाटा ऑपरेटर कृष्णकांत तिवारी ने बताया कि हम दवा वितरण का कार्य करते हैं और कई सालों से हम लोग पीएचसी के जर्जर भवन में कार्य कर रहे हैं ,अभी हाल में ही छत का प्लास्टर झड़ के हमारे शरीर के ऊपर गिर गया था। हालांकि प्लास्टर का छोटा टुकड़ा के वजह से कोई चोट नहीं आई, मगर फिर भी हम लोगों को हमेशा डर सताए रहता है कि कोई बड़ा प्लास्टर झड़ कर गिर ना जाए इसलिए हम हेलमेट अपने सर के ऊपर लगाकर ही कार्य करते हैं। जर्जर भवन की स्थिति को देखते हुए हम लोगों ने कई बार पदाधिकारी को शिकायत भी की थी लेकिन अब तक कोई समस्या का समाधान नहीं निकाला गया है।

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