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जानिये अपराध का मनोविज्ञान, क्यों लोग अपराध वाली फ़िल्में करते है पसंद?

जानिये अपराध का मनोविज्ञान, क्यों लोग अपराध वाली फ़िल्में करते है पसंद?

डेस्क.... मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र के कई सिद्धांत हैं जो इंसान के व्यवहार का शोध के ज़रिए कारण बताते हैं. जैसे किसी पर बहुत ग़ुस्सा आ रहा हो लेकिन आप उस पर निकाल नहीं सकते. और आपका पूरा दिन इससे ख़राब हो जाता है. फिर आपने एक क्राइम वेब सीरीज़ देखी और इससे आपने अच्छा महसूस किया. गुस्से का कारण क्या है क्या आप का चरित्र या आप के द्वारा चुने हुए लोग जो किसी को बेवजह परेशान और पागल करने पर लगे हुए थें, या आप का बॉस से संबंध मुसीबत खड़ा करता रहा आखिर कोई अपनी चीज़ आप को क्यों दे आप की गलती से किसी की जिंदगी बर्बाद हो सकती है या होगई होगी  मशहूर दार्शनिक अरस्तु (एरिस्टोटल) के केथार्सिस सिद्धांत (विरेचन के सिद्धांत) के अनुसार भावों का शुद्धिकरण किसी भी त्रासदी का उद्देश्य होता है. उनका मानना था कि स्वास्थ्य के लिए जिस प्रकार शारीरिक मल का निष्कासन और शोधन ज़रूरी है, उसी प्रकार मानसिक मल का निष्कासन और शोधन ज़रूरी है. 

इंसान को कला और साहित्य के ज़रिए अपने विभिन्न भाव जैसे कि ईर्ष्या, द्वेष, लोभ, मोह, क्रोध, क्रूरता इत्यादि, जैसे विकारों को दूर करना चाहिए. यानी जब हम अपनी नकारात्मक ऊर्जा को व्यक्त नहीं कर पाते तो इसे, आर्ट, युद्ध पर बने वीडियो गेम खेलकर या ऐसी वेब सीरीज़/फ़िल्म देखकर जिससे हमारे उन भावों को व्यक्त करने का कोई साधन मिले, बाहर निकालने की कोशिश करते हैं. इसमें कई चीज़ें हो सकती हैं, ज़रूरी नहीं कि फ़िल्म या चित्र बनाकर ही आप भावमुक्त हो सकते हैं, हर इंसान का अपना-अपना तरीक़ा हो सकता है. मनोविश्लेषक कार्ल युंग के एक सिद्धांत के मुताबिक हमारे अवचेतन मन में कई बातें, चित्र ऐसे गड़े हैं जो पर्यावरण, अपने सामाजिक परिवेश या पूर्वजों से अर्जित किए होते हैं. 

यह भाव, चित्र अमूमन हर व्यक्ति में होते हैं. जैसे परछाई या किसी किरदार का इस्तेमाल डरावनी फ़िल्म में होता है जिसका सीधा संबंध हमारे अवचेतन मन में मौजूद कुछ भावनाओं से होता है. इसलिए हम डरावनी फ़िल्मों में ऐसी छवियों या व्यक्तित्व को देखकर रोमांच या डर की अनुभूति करते हैं. आप पाताल लोक देख लीजिये जिसमें एक महिला एक गंदे इंसान के साथ गंदा काम करती है और पहले इसमें कोई शक नहीं है महिला को वो इंसान शुरू में इग्नोर करता है ताकि महिला खुद उसके करीब आ जाये और अपना सबकुछ दे दे ये तो फिल्म की रही बात पर असल जिंदगी में ऐसी घटना किसी करीबी को पता चल जाये तो वो तो आप को कभी माफ़ ही नहीं कर पायेगा क्यों की आप चीजों को रोक सकते थें मतलब गलती आप की है और ये माफ़ करने वाली गलती नहीं है पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं को ज़्यादा पसंद है रियल क्राइम शो इन वेब फिल्मों में आपने देखा होगा आप के बॉस के साथ शारीरिक सम्बंद है इसके लिए किसी और को बलिदान देना होता दुबारा बॉस इसलिए रोक देता है क्यों की आपके बॉस के साथ शारीरिक सम्बंद आप की करनी कोई और भोगता है क्यों की वो आप से प्यार करता है ऐसी चीज़ लोगों को बहुत पसंद आती है. मनोविश्लेषकों का कहना है कि हमारे शरीर में हैप्पी हार्मोन होते हैं (सेरोटोनिन, ऑक्सीटोक्सीन, डोपामाइन, एंडोर्फिन). जब भी कोई चीज़ हमें रोमांच से भर देती है या सस्पेंस जैसा अनुभव देती है तो यह हैप्पी हार्मोन शरीर में अच्छी ऊर्जा भर देते हैं. लेकिन किसी भी निगेटिव सीरीज़ को ज़्यादा देखने से जो तनाव शुरू में कम होता दिखता है, वह बढ़ भी सकता है. इस लिये बेहतर हो की आप दूर रहें. 



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