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जमीन अधिग्रहण में सरकार कर रही किसानों के साथ खेल, बंगाल में प्रति डिसमिल 82 हजार, बिहार में सिर्फ 18 हजार लगाई कीमत

जमीन अधिग्रहण में सरकार कर रही किसानों के साथ खेल, बंगाल में प्रति डिसमिल 82  हजार, बिहार में सिर्फ 18 हजार लगाई कीमत

कटिहार। बिहार-बंगाल के बॉर्डर पर एक इंच के फासले पर एक डिसमिल जमीन का सरकारी कीमत में लगभग चौ-गुणा का अंतर है। जिसमें एक ही सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर सरकार किसानों के साथ खेल कर रही है। जहां बिहार के किसानों की जमीन के लिए सरकार प्रति डिसमिल 18 हजार रुपए दे रही है, वहीं बंगाल में जमीन अधिग्रहण के लिए सरकार प्रति डिसमिल 82 हजार का भुगतान कर रही है। एक ही सड़क को लेकर जमीन की अलग अलग कीमतों को लेकर बिहार के किसानों में निराशा नजर आने लगी है। जो काफी हद तक सही नजर आता है।

 बंगाल के रायगंज से शुरू होकर  बंगाल के ही दालकोला तक एन.एच 34 निर्माण कार्य इन दिनों जोरों पर है, इस बीच एन.एच 34 का एक हिस्सा कटिहार बिहार के बलरामपुर पंचायत के वीरपुर इलाके होकर गुजरना है लेकिन बंगाल में प्रति डिसमिल 82 हज़ार से अधिक जमीन अधिग्रहण राशि दिया जा रहा है।  जिसे लेकर स्थानीय किसान विरोध जता रहे हैं। एन.एच 34 के जमीन अधिग्रहण को लेकर जहां बंगाल के किसानों में खुशी है वही बिहार के किसानों में जमीन अधिग्रहण को लेकर मायूसी है, जिला मुख्यालय से लगभग सौ किलोमीटर दूरी पर बिहार-बंगाल बॉर्डर के बॉर्डर लाइन से दोनो राज्य के किसान NH34 निर्माण से बेहद खुश है लेकिन बंगाल के किसान जहां संतोषजनक मुआवजा राशि मिलने से खुश है वही बिहार के किसान संतोषजनक राशि नहीं मिलने से गम में है और अब इस मुद्दे पर सही मुआवजा नही मिलने से आंदोलन की बात कह रहे हैं।

हाईकोर्ट जाने की तैयारी


किसान पवन झा बताते है कि उनकी जमीन बंगाल और बिहार के बीच में है। 2016 में जब बंगाल सरकार ने जमीन अधिग्रहण किया तो उस समय 67 हजार रुपए प्रति डिसमिल की दर से भुगतान किया। 2020 में कुछ और जमीन की आवश्यकता हुई तो इस बार 82 हजार रुपए प्रति डिसमिल मिले। जबकि बिहार के हिस्सेवाले जमीन के लिए बिहार सरकार सिर्फ 18 हजार दे रही है, जो हमें मंजूर नहीं है। वहीं किसान मोहम्मद मसूद आलम ने बताया कि बिहार में लगभग 10 किसानों की जमीन एनएच के अधिग्रहण में जा रही है। हमारी मांग है कि बंगाल की तरह बिहार के किसानों को भी जमीन अधिग्रहण के लिए बराबर मुआवजा दिया जाए। अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हाईकोर्ट जाएंगे। फिलहाल किसानों के विरोध के कारण रोड निर्माण का काम रोक दिया गया है। 


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