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बिहार का एक ऐसा इलाका जहां शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं लोग, जानते हैं क्यों ?

बिहार का एक ऐसा इलाका जहां शाम होते ही घरों में दुबक जाते हैं लोग, जानते हैं क्यों ?

जमुई : जमुई एक वक्त शांति व भाईचारे के लिए प्रसिद्ध था। जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर की पावन धरती के तौर पर पहचाना जानेवाला जमुई का खैरा इलाका, आज नक्सली व आपराधिक गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में है। जहां सुबह-सवेरे मंदिरों में पूजा-अर्चना व वेद-मंत्रों का उच्चारण होता है, वहां आज रहने में लोग घुटन व भय महसूस कर रहे हैं। 

आम लोगों के साथ पुलिस भी रहती है भयभीत

जानते हैं क्यों...क्योंकि ये पूरा इलाका अब अपराधियों व माओवादियों की गिरफ्त में है। कब, कहां नक्सली हमला बोल देंगे किसी को नहीं पता। शाम होते ही लोग अपने घरों में दुबक जाते हैं या फिर पलायन करने के लिए विवश हैं। आम लोगों की बात छोड़िए, यहां पुलिस भी कम भयभीत नहीं। 

हालात यह है कि नक्सली हमला के बाद पुलिस जांच के दौरान खानापूर्ति करती है और कई निर्दोष जांच की भेंट चढ़ जाते हैं। नक्सली मामले में फंस जाने के कारण कई लोगों का पूरा जीवन ही कोर्ट-कचहरी करते बीत जाता है। 

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क्षेत्र में जब भी नक्सली व आपराधिक घटना घटती है तो सर्च अभियान में एसटीएफ, सीआरपीएफ, सैप व बीएमपी जवानों को लगाया जाता है। सर्च अभियान के दौरान यहां के ग्रामीण पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली से भयभीत रहते हैं। खैरा का दक्षिण क्षेत्र झारखंड और बिहार की सीमा रेखा जबकि पश्चिम की ओर नवादा की सीमा रेखा से घिरा है। 

घने जंगलों से घिरा है पूरा इलाका

पूरा इलाका घने जंगलों, पहाड़ियों व उबड़-खाबड़ पगडंडियों से भरा पड़ा है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो साल 1999 के सितंबर माह में जिले में पहली नक्सली घटना दीपक करहर जंगल में हुई थी। इस घटना में बारूदी सुरंग विस्फोट कर चुनाव करवाकर लौट रहे मतदान कर्मियों को उड़ा दिया गया था। 

साल 2003 के अगस्त माह में मुखिया हत्याकांड, 9 फरवरी, 2009 को संत रविदास के मंदिर प्रांगण में 10 जवानों की हत्या के पश्चात सैकड़ों लोगों को इसमें अभियुक्त बनाया गया था। लगभग 30 किलोमीटर के क्षेत्र में आज भी असुरक्षा का माहौल व्याप्त है। 

नक्सली व अपराधी जिले में वारदातों को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ-साथ अपना दायरा भी बढ़ा रहे हैं। दूसरी ओर पुलिस नक्सलियों पर कार्रवाई करने की बजाए सर्च अभियान के नाम पर ग्रामीणों को परेशान करती है।

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