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चारों ओर से पहाड़ी से घिरा था जरासंध का जेलखाना, सात घाटी से घिरे गया में जरासंध के कारागार के गुफा का खुला है मुंह

चारों ओर से पहाड़ी से घिरा था जरासंध का जेलखाना, सात घाटी से घिरे गया में जरासंध के कारागार के गुफा का खुला है मुंह

गया- ....ये किस तापस की समाधि है किसका ये उजड़ा उपवन है , ईंट ईंट हो बिखर गया ये किस रानी का राजभवन है.... मगध साम्राज्य किसी जमाने में सबसे सबसे ताकतवर जनपद माना जाता था. गया मगध के सम्राट जरासंघ के इतिहास को अपने गर्भगृह में छिपा कर रखा है. गया मगध का मुख्य केंद्र था.  मगध सम्राट जरासंघ का यहां एका कारागार हुआ करता था. यह कारागार गया का अतरी पहाड़ चारों ओर से घिरा है. अतरी पहाड़ी के कई किलोमीटर और सात घाटियों में स्थित था जरासंघ का जेल. 

मगध सम्राट जरासंध का कारागार गया में था. गया के अतरी प्रखंड अंतर्गत चिरियावां गांव में जरासंध का कारागार की पहाड़ी वाली गुफा आज भी मौजूद है. चिरियावा गांव अतरी पहाड़ की गोद में बसा है. यहां पहाड़ में रही गुफा का मुंह आज भी खुला हुआ है. लोग इसमें प्रवेश भी करते हैं. अंदर कितनी गहराई है, यह किसी को पता नहीं चल पाता, लेकिन लोग बताते हैं, कि कई बार वे टॉर्च लेकर अंदर गए. अंदर काफी स्पेश है, जिसमें हजारों-हजार लोगों को रखा जा सकता है. 

लोग बताते हैं, कि अतरी पहाड़ी पर गुफा मौजूद है और पहाड़ की इस गुफा के ऊपर की चोटी से अगर जाएं तो हम लोग सीधे राजगृह पहुंच जाते हैं, जहां पास में ही मगध सम्राट जरासंध किला है. यानी कि गया का अतरी पहाड़ जो चारों ओर से घिरा हुआ है, वह इस क्षेत्र से सटी हुई है. अतरी पहाड़ की भौगोलिक स्थिति भी कहीं ना कहीं यह इंगित करती है, कि एक जमाने में जरासंध का है यहां कारागार हुआ करता था.

इस संबंध में स्थानीय बताते हैं कि जरासंध का पूरा क्षेत्र था. मगध पर उसका शासन था. वह जितने राजाओं को हराता था, पराजित करता था, इसी अतरी पहाड़ी के चारों ओर उन्हें बंदी बनाकर रखता था. कारागार की बनावट के बारे में स्थानीय लोगों का कहना है कि यह  तकरीबन 18 किलोमीटर के क्षेत्र में अतरी पहाड़ी है, जो चारों ओर से घिरी हुई है. अतरी पहाड़ी के एक ओर में गुफा आज भी मौजूद है. यह गुफा लंबी दूरी तक ले जाती है. यह गुफा इसका प्रमाण है, कि यहां जरासंध का कारागर हुआ करता था. गुफा के अंदर जाने पर यह पता चलता है, कि यहां हजारों -हजार लोग रखे जा सकते हैं, यानी कि जो बंदी लाए जाते थे, उन्हें यहां रखा जाता था  खासकर जो अत्याचारी राजा सम्राट जरासंध से पराजित होते थे, उन्हें पहाड़ पर ही इसी गुफा में रखा जाता था और जो उनके सैनिक हुआ करते थे, उन्हें पहाड़ के नीचे की ओर रखा जाता था. सामान्य राजा जो ज्यादा विरोध नहीं जताते थे, उन्हें भी सैनिकों के साथ पहाड़ के नीचे वाले क्षेत्र में ही रखा जाता था. इस तरह जरासंध ने जितने भी राजाओं को पराजित किया, उन्हें अतरी पहाड़ के चारों ओर बने कारागार में रखा. अंदर जाने पर हन हन की आवाज आती है, जो डराने वाली होती है.

अतरी पहाड़ी के चारों ओर देखे तो 7 घाटी हैं. सातों घाटी पर राजा जरासंध के पहरेदार रहा करते थे. पहाड़ पर रहे इस गुफा के रास्ते ही सभी राजाओं- सैनिकों को लाया या ले जाया जाता था. यह इस तरह का यह कारागर था, कि यहां से किसी का निकलना संभव नहीं था. इसी पहाड़ से राजगीर शुरू हुआ है, उधर किला और इधर जरासंध का जेल खाना था.

अतरी पहाड़ नालंदा राजगीर से सटा स्थान है. पुरातत्व विभाग खंगाले तो काफी कुछ रहस्य यहां से से मिल सकते हैं यह बताते हैं कि पहले इस इलाके में कोई रहा नहीं करता था उनके पूर्वजों ने रहना शुरू किया. 


रिपोर्ट- मनोज कुमार


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