PATNA : बिहार विधानसभा के पुस्तकालय में शनिवार को 15 वें वित्त आयोग की टीम के दौरे को लेकर सर्वदलीय बैठक हुई। वित्त आयोग की टीम 11 और 12 जुलाई को बिहार दौरे पर आ रही है। बैठक में सभी दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठी और इसके लिए सभी दलों ने एकजुट हो कर अपनी राय रखी। बैठक में जदयू नेता आरसीपी सिंह बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हमने क्या अपराध किया जो हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है। बिहार का शेयर 11।56 से घट कर 9।5 हो गया है। वित्त आयोग के दौरे को लेकर राज्य सरकार सभी दलों की सहमति से अपना पक्ष रखना चाहती है ताकि बिहार को वाजिब हक मिल सके।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार रघुराम राजन कमिटी की रिपोर्ट भूल गई है, रघुराम राजन कमिटी ने कहा था, पिछड़े राज्यों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। आरसीपी सिंह ने कहा कि बिहार के 22 जिले बाढ़ प्रभावित हैं और बिहार में बाढ़ नेपाल के कारण आती है। हर साल हज़ारों करोड़ की बर्बादी होती है। वित्त आयोग को यह बताना चाहिए।
बैठक में राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए और इसको सब लोग जोरदार ढंग से रखें। केंद्र और राज्य दोनों जगह अब एनडीए की सरकार है तो विशेष राज्य का दर्जा मिलने में देरी क्यों हो रही है? विधानसभा में सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने कहा कि मेमोरेंडम में यह शामिल हो कि बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा। पीएम ने जो विशेष पैकेज की घोषणा कि उसकी भी चर्चा हो।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग का गठन कर दिया है, जिसका अध्यक्ष पूर्व सांसद एनके सिंह को बनाया गया है। इसका कार्यकाल तो 1 अप्रैल 2020 से 2025 तक का होगा, लेकिन इसकी रिपोर्ट तैयार करने की कवायद अभी से शुरू हो गयी है।
आर्थिक रूप से कमजोर बिहार जैसे राज्य को इस नये आयोग से ज्यादा उम्मीदें और अपेक्षाएं हैं। राज्य के वित्त विभाग से लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर जहां जरूरत है, वहां इसे लेकर व्यापक तैयारी शुरू हो गयी है।
प्राप्त सूचना के अनुसार, वित्त आयोग की टीम 11 और 12 जुलाई को बिहार दौरे पर आ रही है। इस दो दिवसीय दौरे में टीम यहां की सभी पार्टियों के जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों के अलावा विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेगी और राज्य की मौजूदा आर्थिक परिदृश्य पर विचार-विमर्श करेगी। ताकि इसके आधार पर बिहार के लिए ठोस आर्थिक निष्कर्ष निकाला जा सके। सूबे के दौरा कार्यक्रम के दौरान टीम कई स्थानों का भ्रमण भी कर सकती है। वित्त विभाग ने पिछले 15 साल का आर्थिक लेखा-जोखा से जुड़ी राज्य की विस्तृत रिपोर्ट वित्त आयोग को भेज दी है। इसे जमा करने की अंतिम तारीख 30 अप्रैल थी।