Patna : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी द्वारा सीएम नीतीश पर किये गये हमले पर जदयू की ओर से पलटवार किया गया है। जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल ने उन्हें विशेष तरह की बीमारी से ग्रस्त बताया है।
निखिल मंडल ने ट्वीटी किया है....तेजस्वी जी को अलग तरह की बीमारी हो चुकी है। सुबह उठते है और शुरु हो जाते है
उन्होने आगे लिखा है...नीतीश कुमार को गाली देना। जबतक अभद्र भाषा, गाली-गलौज नहीं दे लेते तबक नींद नहीं आती इनको ! अजी, जदयू को नीचे दिखलाना है तो काम कर के दिखलाइये, अपनी नीती बतलाइये, आगे आपका मैनिफेस्टो क्या है ये बतलाइये?
बता दें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से सीएम नीतीश पर करारा हमला किया है. तेजस्वी यादव ने फेसबुक पर लंबी चौड़ी पोस्ट शेयर कर सीएम नीतीश पर वार किया है.
तनिक भर लज्जा नहीं आई नीतीश जी
तेजस्वी यादव ने फेसबुक पर पोस्ट शेयर कर गृह मंत्री अमित शाह को सीएम नीतीश का महबूब नेता बताया. तेजस्वी ने लिखा है कि ‘आदरणीय नीतीश कुमार जी कल दिल्ली में अपने महबूब नेता अमित शाह जी के साथ चुनावी मंच साझा कर रहे थे. मंच पर अपनी सारी राजनीतिक दुर्दशा, चालाकी और मजबूरी को ना चाहते हुए भी प्रदर्शित कर गए। मंच साझा करने का ऐसा उतावलापन कहे या चाटूकारिता का तक़ाज़ा कि उत्साह में वो अपने ही झूठ बोलने के सारे पुराने रिकॉर्ड खुद ही तोड़ गए और देश की राजधानी दिल्ली को बिहार से बदतर बताने में तनिक भर भी लज्जा महसूस नहीं कर रहे थे.
सीएम नीतीश ने खो दिया है आत्मबल
तेजस्वी यादव ने एफबी पोस्ट पर लिखा है कि ‘दिल्ली जाकर ड़बल इंजन सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज, बाढ़ पीड़ितों की सहायता राशि और केंद्रीय मदों में बिहार का हक़ माँगने की बजाय आप संविधान बदलने व अपने ही नागरिकों से नागरिकता छिनने वालों को लोकप्रिय और महानायक बता रहे है. शायद अब आपमें स्वयं से भी सवाल-जवाब करने का आत्मबल नहीं रहा। सिद्धांत, विचार, नैतिकता और अंतरात्मा तो आपने जनादेश का सौदा करते समय ही बेच दी थी.’
बिहार में कितने कारखाने खुले?
तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश से कई सवाल पूछा है. तेजस्वी ने लिखा है किमाननीय मुख्यमंत्री जी, दिल्ली में यह तो बता देते आपने कितने कारख़ाने और कंपनियाँ बिहार में खुलवाई हैं? कितने युवाओं को रोज़गार दिया है? कितनी चीनी मिल, राइस मिल, जूट मिल को बंद करवाया है?
अपनी सरकार का 15 साल का तो हिसाब गिना नहीं सकते पर विपक्षी सरकारों का हिसाब मांगने दिल्ली तक पहुँच गए. इसे कहते है एक तो चोरी और ऊपर से सीनाजोरी.
विवेकानंद की रिपोर्ट