पटना। बड़ी उम्मीदों के साथ बीते वर्ष परसा के पूर्व विधायक और लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय यादव जदयू में शामिल हुए थे। उम्मीद थी कि इतना बड़ा नाम होने के कारण पार्टी में महत्व दिया जाएगा, लेकिन रविवार को कार्यकारिणी की बैठक में उनके इंट्री पर रोक लगा दी गई। पार्टी कार्यालय के गेट के बाहर ही उन्हें कह दिया गया कि लिस्ट में उनका नाम नहीं है, इसलिए वह अंदर नहीं जा सकते हैं। राजनीतिक जानकार इसे चंद्रिका राय का बड़ा अपमान मान रहे हैं।
चंद्रिका राय के पिता राज्य के सीएम रह चुके हैं। वह खुद छपरा जिले के परसा से विधायक रह चुके हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के समधी रह चुके हैं। बीते साल लालू परिवार में अपनी बेटी ऐश्वर्या राय के साथ हुए व्यवहार के दुखी होकर राजद का दामन छोड़कर उन्होंने नीतीश के जदयू का दामन थाम लिया था। परसा से विधायक होने के कारण जदयू ने उन्हें वहीं से अपना कैंडिडेट बना दिया। लेकिन चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और इसके साथ ही नीतीश के नजरों में चंद्रिका राय एक ऐसे हारे हुए खिलाड़ी की हो गई, जिनकी शायद अब जरुरत नहीं थी।
लालू परिवार को खुश करने के लिए हुआ ऐसा
पिछले कई दिनों से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि जदयू भाजपा के साथ अपने रिश्ते को खत्म कर राजद के साथ अपने नया गठजोड़ कर सकती है। जाहिर है कि राजद के साथ गठजोड़ का मतलब लालू परिवार से संबंध होना है। जदयू कभी नहीं चाहेगी लालू परिवार से साथ जिस इंसान की दुश्मनी हो, उसे अपनी पार्टी में उतना महत्व दिया जाए। पार्टी कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने से रोकना कहीं न कहीं इसी की ओर इशारा करता है। वह भी तब जब बैठक का मुद्दा उन कैडिडेटों की हार पर समीक्षा करना है और सभी उम्मीदवारों को हार की समीक्षा करने के लिए कहा गया है।
न घर के न घाट के
जदयू की बैठक में रोके जाने के बाद अब सवाल यह है कि चंद्रिका राय क्या करेंगे। राजद में उनकी वापसी संभव नहीं है। जदयू ने उन्हें सही जगह दिखा दी है। ऐसे में चंद्रिका राय आगे क्या कदम उठाएंगे, इस बात का इंतजार रहेगा।