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जदयू नेता छोटू सिंह ने पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह को दी श्रद्धांजलि, कहा- बिहार ने एक सच्चा बेटा खो दिया

जदयू नेता छोटू सिंह ने पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह को दी श्रद्धांजलि, कहा- बिहार ने एक सच्चा बेटा खो दिया

पटना. बिहार के पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह का 4 जुलाई को निधन हो गया था। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर जदयू नेता और समाजसेवी व नागरिक परिषद के पूर्व सचिव छोटू सिंह पहुंचे। यहां उन्होंने पूर्व मंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए उनके चित्र पर मल्यार्पण किया। साथ ही उनके किये गये कार्यों को भी याद किया। उन्होंने पूर्व मंत्री के परिजनों से मुलाकात भी की। पूर्व मंत्री के बेटे बिहार के मंत्री सुमित सिंह, विधायक अजय सिंह वहां मौजूद थे। इस दौरान छोटू सिंह ने कहा कि बिहार ने एक सच्चा बेट खो दिया। वे एक राजनेता ही नहीं, बल्कि वे समाज सुधारक भी थे। उन्होंने बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ किया।

वहीं इस दौरान छोटू सिंह के साथ बिहार के उद्योगपति विनय सिंह, फतुहा के पूर्व जदयू अजय सिंह, सुबोध यादव, DY Patil School पटना के चेयरमैन रंजन सिंह भी मौजूद रहे। इन सभी ने पूर्व मंत्री के चित्र पर मल्यार्पण किया। 

पूर्व मंत्री व स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी नेता श्रीकृष्ण के पुत्र नरेंद्र सिंह पहली बार 1985 में कांग्रेस की टिकट पर चकाई विधानसभा क्षेत्र विधायक चुने गए थे। 1990 में दूसरी बार निर्वाचित होकर लालू प्रसाद की सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। हालांकि बगावती तेवर के कारण वे बहुत ज्यादा दिनों तक मंत्रिमंडल में नहीं टिक सके और त्यागपत्र देकर लालू सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था। 2000 के विधानसभा चुनाव में वे एक साथ दो विधानसभा क्षेत्र जमुई और चकाई से विधायक चुने गए बाद में उन्होंने जमुई से इस्तीफा देकर सुशील कुमार सिंह उर्फ हीरा जी को विधायक बनाने में महती भूमिका निभाई थी। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बने और 2015 में जीतन राम मांझी सरकार चलने तक मंत्री पद को सुशोभित करते रहे।

नरेंद्र सिंह 1974 आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शुमार रहे। वे 1973 में पहली बार पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे। तब रामजतन शर्मा अध्यक्ष थे। दूसरी बार 1974 में लालू प्रसाद अध्यक्ष और नरेंद्र सिंह महासचिव निर्वाचित हुए। 74 आंदोलन के क्रांतिकारी नेता नरेंद्र सिंह के खून में ही क्रांति और समाजवाद समाहित था। यहां यह बताना लाजिमी है कि उनके पिता श्री कृष्ण सिंह भी अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी आंदोलन के अगुआ रहे थे। आजादी के बाद उन्होंने समाजवाद को अपनाया और आखिरी क्षण तक समाजवादी विचारों को स्थापित करने को लेकर लड़ते रहे।

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